उत्तराखंड: वन गुर्जरों के विस्थापन मामले में शासन ने हाई कोर्ट में क्या दिया जवाब, जानिए

Update: 2022-03-03 06:15 GMT

नैनीताल हाई कोर्ट : हाई कोर्ट ने प्रदेश के वन गुर्जरों के संरक्षण व विस्थापन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। देहरादून के जिलाधिकारी की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया है कि अदालत के आदेशों का अनुपालन किया जा चुका है। वहीं बुधवार को याचिकाकर्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 23 मार्च नियत की है। बुधवार को हाई कोर्ट केकार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में थिंक एक्ट राइजिंग फाउंडेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान देहरादून के डीएम की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि पूर्व में कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों का अनुपालन किया जा चुका है।

कार्बेट नेशनल पार्क के सोना नदी में क्षेत्र में छूटे हुए 24 वन गुर्जरों के परिवारों को तीन माह के भीतर 10 लाख रुपये दिए जाएं। साथ ही छह माह के भीतर परिवारों को जमीन के मालिकाना हक संबंधी प्रमाण पत्र दिए जाएं। राजाजी नेशनल पार्क में वन गुर्जरों के उजड़े हुए परिवारों को जीवनयापन के लिए खाना, आवास, मेडिकल सुविधाएं, स्कूल, रोड व उनके पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था तथा पशु चिकित्सक उपलब्ध कराया जाए। वन गुर्जरों के विस्थापन को सरकार एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करे।

क्या थी याचिका: थिंक एक्ट राइजिंग फाउंडेशन की याचिका में कहा गया है कि सरकार वन गुर्जरों को उनके परंपरागत हक हकूक से वंचित कर रही है। वन गूर्जर पिछले 150 सालों से वनों में रह रहे हैं और उन्हें हटाया जा रहा है। उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किये जा हैं। लिहाजा उनको सभी अधिकार देकर विस्थापित किया जाए।

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