उत्तराखंड : नहीं मिली वक़्त में इलाज, हुई बुजुर्ग की मौत
मंत्री के निर्देशों का पालन भी नहीं हो रहा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बिजनौर के चांदपुर निवासी 60 वर्षीय निजामुद्दीन को उनके बेटे रुस्तम तबीयत बिगड़ने पर 15 जुलाई की रात को 11 बजे एम्स ऋषिकेश पहुंचे। रुस्तम ने बताया कि यहां इमरजेंसी में तीन-चार घंटे रखकर बेड न होने की बात कहकर दून जाने को कह दिया। 16 जुलाई को अलसुबह दून अस्पताल पहुंचे। यहां फिजीशियन डा. विजय भंडारी ने सांस, गुर्दे, पेशाब न होने, पेट की समस्या बताई और आईसीयू खाली नहीं होने की बात कहकर रेफर कर दिया। कोरोनेशन अस्पताल में फिजीशियन डा. वीएस पंवार के अंडर में मरीज को आईसीयू में भर्ती किया। उन्होंने नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाने की सलाह दी।
आईसीयू प्रभारी फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट ने जांच की तो मरीज में दिल और फेफड़े की कोई गंभीर बीमारी नहीं पाई। उन्होंने आंत फटने का अंदेशा जताया। उसी के कारण गुर्दा खराब होना भी बताया और इमरजेंसी सर्जरी के लिए सलाह दी। सर्जन डा. एसडी सकलानी ने मरीज देखा, लेकिन उसे सर्जिकल इंटरवेंशन की जरूरत नहीं बताई। डा. पंवार ने लगभग दून अस्पताल जैसा डाइग्नोस बनाकर हायर सेंटर रेफर कर दिया। परिजन फिर से मरीज को एम्स ले गए और रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। एक दिन पहले पुरोला के मरीज हरिपा को भी बिना सर्जरी के रेफर कर दिया गया था, जिसकी बाद में दून अस्पताल में सर्जरी हुई।