उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मानव-वन्य जीव संघर्ष रोकने को विशेषज्ञ कमेटी बनाने का दिया निर्देश

Update: 2022-11-24 13:48 GMT

नैनीताल न्यूज़: पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते मानव-वन्य जीव संघर्ष एवं तेंदुओं के हमले को लेकर दायर जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को विशेषज्ञों की अध्यक्षता में समिति बनाने के निर्देश दिए। खंडपीठ ने प्रत्येक 2 सप्ताह में विशेषज्ञों से वार्ता करने के साथ ही मानव-वन्य जीवों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए अब तक किए गए उपायों और आगे की कार्यवाही पर 2 सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 27 अप्रैल 2023 की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार, देहरादून की समाजसेवी अनु पंत ने जनहित याचिका में कहा कि प्रदेश के पर्वतीय जिलों में मानव-वन्य जीवों का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के कई जिले इससे प्रभावित हो रहे हैं। आये दिन मानव इन जंगली जानवरों के शिकार हो रहे हैं। खासकर मानवों पर तेंदुए के हमले बढ़ते जा रहे हैं।

30 लोग मारे गए, 85 जख्मी: जनहित याचिका में बताया गया कि लगभग प्रत्येक वर्ष औसतन 60 लोग तेंदुओं के हमले में मारे जाते हैं। पर्वतीय जिलों में सन् 2020 में तेंदुए के हमले में 30 लोग मारे गये थे जबकि 85 लोग जख्मी हुए थे।

पलायन की एक वजह यह भी: याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि इससे पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन भी बढ़ रहा है। पलायन आयोग ने भी माना है कि सन् 2016 में 6 प्रतिशत लोग पलायन को मजबूर हुए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गयी है कि एक कमेटी का गठन किया जाए और कमेटी इसका अध्ययन कर इस मामले का समाधान निकाले। साथ ही आवासीय क्षेत्रों व जंगलों के बीच में तारबाड़ लगायी जाए। कैमरा टेपिंग व तेंदुओं पर रेडियो कॉलर लगाए जाएं। साथ ही सरकार एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करे, जिससे आपात स्थिति से निपटने में सहयोग मिल सके।

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