उत्तराखंड: पबजी और फ्री फायर जैसे गेम्स बच्चो के दिमाग पर कर रहे हैं कब्ज़ा, जानिए पूरा मामला
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने अभिभावकों को गेमिंग डिस्ऑर्डर का लेकर चेताया है।
जनता से रिस्ता वेबडेस्क: ऋषिकेश। पबजी और फ्री फायर जैसे गेम्स पर भारत सरकार प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन अब भी इनके कई विकल्प गेम्स और एप्स स्टोर पर उपलब्ध हैं। ऐसे गेम्स की लत बच्चों को गेमिंग डिस्ऑर्डर जैसी खतरनाक मानसिक बीमारी का शिकार बना रही है। हाल के दिनों में गेमिंग डिस्ऑर्डर के मामलों में काफी इजाफा हुआ है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने अभिभावकों को गेमिंग डिस्ऑर्डर का लेकर चेताया है।
ऑनलाइन गेमिंग का चस्का किसी नशे से कम नहीं है। एक बार बच्चे को ऑनलाइन गेमिंग की लत लग जाए तो इससे पीछा छुड़ाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। पबजी और फ्री फायर जैसे गेम्स पर भारत में प्रतिबंध लगने के बाद अभिभावकों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब भी ऐसे ही गेम्स और एप्स की स्टोर पर भरमार है। ये ऑनलाइन गेम्स बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं। बच्चे अपना अधिकांश समय इन ऑनलाइन गेम्स को खेलते हुए बिता रहे हैं। इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता और नींद की कमी जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। एम्स ऋषिकेश के मनोचिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र रोहिला ने बताया कि हाल ही में बच्चों में गेमिंग डिस्ऑर्डर के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि गेमिंग डिस्ऑर्डर आईसीडी 11 की श्रेणी में आता है, लेकिन भारत में अभी आईसीडी 10 के तहत बीमारी का डाइग्नोस हो रहा है। इसमें रोगी गेम्स को अपने दैनिक कामों से ज्यादा तवज्जो देने लगता है। रोगी तय नहीं कर पाता है कि उसको कितनी देर गेम खेलना है। इससे रोगी के मस्तिष्क और व्यवहार में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डॉ. जितेंद्र रोहिला ने बताया कि नींद न आना, अचानक आक्रामक हो जाना और चिड़चिड़ापन इसके प्रमुख लक्षण हैं। कई बार गेमिंग डिस्ऑर्डर से पीड़ित रोगी अन्य मानसिक रोग से भी ग्रस्त होता है।
लक्षण
- गेम खेलने की आदत पर कंट्रोल न रख पाना।
- अन्य शौक और कामों से ज्यादा प्राथमिकता गेमिंग को देना।
- नकारात्मक प्रभावों के बावजूद गेम खेलने का मोह न छोड़ पाना।
- अनिद्रा
- लगातार निष्क्रिय रहने से वजन का बढ़ना।
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गंभीर दुष्परिणाम
- एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर
- डिप्रेशन
- स्ट्रेस
- पारिवारिक जीवन, शिक्षा और कामकाज को समाप्ति की कगार पर ला देना।
ऐसे संभालें रोगी को
- रोगी को अकेला न छोड़ें।
- उसके आत्मबल को बढ़ाएं।
- उसको स्वास्थ्य दिनचर्या और शौक को विकसित करने के प्रोत्साहित करें।
- मनोचिकित्सक की सलाह लें।
शिक्षा मंत्रालय जारी कर चुका दिशा-निर्देश
- बिना अभिभावकों की अनुमति के गेम्स की खरीदारी नहीं हो चाहिए।
- गेम्स की खरीदारी के लिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड का प्रयोग न करें।
- गेम खेलते समय बच्चे अपने वास्तविक नाम का प्रयोग न करें।
- अभिभावक बच्चों के लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल पर नजर रखें।
- अनजान वेबसाइट से एप्स और गेम डाउनलोड करने से बचें।
- ऑनलाइन चैट के माध्यम से अनजान व्यक्ति से बात न करें।