उत्तराखंड: कार्बेट से राजाजी नेशनल पार्क तक फैला धर्मस्थलों का अतिक्रमण, CCF ने दिए चिहि्नत कर हटाने के आदेश
धर्म स्थल के नाम पर नेशनल पार्क व अभ्यारण तक में अतिक्रमण कर लिया गया है।
हल्द्वानी : धर्म स्थल के नाम पर नेशनल पार्क व अभ्यारण तक में अतिक्रमण कर लिया गया है। कहीं स्थायी मजार तो कहीं पर अस्थायी मंदिर भी बना लिए गए। ऐसा नहीं कि मामला नया है। यह खेल काफी दिनों से चल रहा है। लेकिन लगातार बढ़ते इन मामलों को देख वन विभाग अब चेता है।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. पराग मधुकर धकाते ने डिवीजनों के साथ ही नेशनल पार्क व वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अफसरों को धार्मिक स्थल के नाम पर हुए अतिक्रमण का ब्योरा जुटाने का निर्देश दिया है। इसमें पौराणिक व ऐतिहासिक मंदिरों को छोड़ अन्य को अतिक्रमण मान रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई भी तय होगी। वन और वनसंपदा को लेकर उत्तराखंड को एक समृद्ध राज्य माना जाता है। बाघ-हाथी और गुलदार के अलावा यहां पक्षियों और सरीसृपों की भी विविध प्रजातियां मिलती हैं। इसके अतिरिक्त मैदान से लेकर हिमालयी क्षेत्र की वनस्पतियों का मिश्रण भी मिलेगा।
वन्यजीवों के सुरक्षित वासस्थल को लेकर कार्बेट व राजाजी नेशनल पार्क की अपनी अलग पहचान है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां धर्म स्थल के नाम पर अतिक्रमण शुरू हो गया। बाहरी अतिक्रमण के खिलाफ कई बार अभियान भी चला। लेकिन धार्मिक स्थलों की आड़ में जंगल क्षेत्र के अंदर कब्जाई जमीन पर कार्रवाई करने से पूर्व में अफसर भी बचते रहे। इस कारण तराई, भाबर से लेकर पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में भी अतिक्रमण बढ़ता गया।
कार्बेट में चार मजार
कार्बेट टाइगर रिजर्व के भीतर देखते ही देखते चार मजार तैयार हो गए। बिजरानी रेंज स्थित इमलीखान मजार में होने वाले सालाना उर्स में सैकड़ों जायरीन पहुंचते हैं। लेकिन पिछले दो साल से सालाना उर्स का आयोजन और लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि तीन अन्य जगहों पर बने मजार में लोग जाते हैं।मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि जंगल में किए अतिक्रमण को लेकर डिवीजनों को लेकर नेशनल पार्क व वाइल्डलाइफ सेंचुरी से भी डाटा मांगा गया है। हर समुदाय के धार्मिक स्थल चिह्नित किए जाएंगे। रिपोर्ट मिलने के बाद वन भूमि को मुक्त कराया जाएगा।