उत्तराखंड: 7 रंग के बुंराश इन दिनों उत्तराखंड की जंगलो में खिले हुए हैं, देखिये

Update: 2022-03-29 13:13 GMT

उत्तराखंड न्यूज़: बसंत ऋतु की बात ही हो और उत्तराखंड का जिक्र न हो यह मुमकिन नहीं है। यह सीजन ही कुछ ऐसा है। इस ऋतु के आते ही पहाड़ों की खूबसूरती जैसे अचानक ही बढ़ जाती है। माघ, फागुन, चैत्र, वैशाख के महीनों में यहां मौसमी फलों-फूलों आदि की प्रचूरता बढ़ जाती है। पेड़ों पर रंगबिरंगे फूलों को देख मन खुश हो जाता है। इन्हीं महीनों में खिलता है उत्तराखंड का मशहूर मौसमी फूल 'बुरांश'। पहाड़ मार्च और अप्रैल के महीनों में इसके फूलों के रंग से रंग जाते हैं। पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी और रुद्रप्रयाग के चोपता के जंगलों में इन दिनों पर्यटकों का जमावड़ा लग रखा है और इन जंगलों में खिले सात रंग के बुरांश के फूल आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं। सात रंग के बुरांश के फूल यहां की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं और लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यूं तो बुरांश का फूल आपने केवल लाल रंग का देखा होगा। आमतौर पर पर्वतीय राज्यों में यह केवल लाल रंग में ही मिलता है लेकिन 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी में प्रकृति मेहरबान है और यही वजह है कि यहां सात रंग के बुरांश खिलते हैं। यहां सिर्फ लाल रंग के नहीं, सुर्ख गुलाबी, हल्की गुलाबी, पीले, सफेद समेत सात अलग-अलग रंग के बुरांश दिख जाएंगे। यही फूल आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं।


दूरदराज से आए प्रकृति, पर्यटन और पुष्प प्रेमी प्रकृति के इस अनोखे नजारे को देखने आ रहे हैं। मुनस्यारी के खलिया, मर्तोली, बलाती, हरकोट के जंगलों में बुरांश के सात रंग के फूल खिले हैं और इन्हें देखने दूर-दूर से पर्यटक पहुंच रहे हैं। बुरांश का पौधा 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर उगता है। यह 20 मीटर तक ऊंचा होता है। इसकी दो प्रजातियां पहाड़ों में इन दिनों खिली हुई हैं। एक लाल और दूसरी सफेद। सफेद बुरांश को आमतौर पर प्रयोग में कम लाया जाता है, लेकिन लाल बुरांश का प्रयोग पहाड़ों में बहुत ज्यादा किया जाता है। लाल बुरांश से बना हुआ शरबत हृदय रोग के लिए रामबाण माना जाता है। यह सदाबहार वृक्ष है और इसके फूल औषधीय गुणों से भरपूर माने जाते हैं। बुरांश के फूल की पंखुड़ियों को लिवर, किडनी रोग, खूनी दस्त आदि बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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