उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी पेपर लीक) परीक्षा का प्रश्न-पत्र 'बेचने' के मामले में एक और गिरफ्तारी हुई है. इसी के साथ इस मकड़जाल को भेदने में जुटी उत्तराखंड राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स, अब तक कुल 16 मुजलिमों को गिरफ्तार कर चुकी है. 16वें मुलजिम के रुप में गिरफ्तार सूर्य प्रताप सिंह, राज्य सचिवालय के न्याय विभाग में अपर निजी सचिव के पद पर तैनात है. एसटीएफ की छापामारी अभी भी जारी है.
इस मामले का भांडाफोड़ राज्य के मुख्यमंत्री के पास पहुंची शिकायतों के बाद एसटीएफ ने करना शुरू किया था. इस सिलसिले में 22 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया गया था. शुक्रवार शाम टीवी9 भारतवर्ष से बात करते हुए यह तमाम जानकारियां एसटीएफ प्रमुख एसएसपी अजय सिंह ने दी. एसएसपी ने कहा, "यह जाल बहुत घना बुना हुआ है. हम लोग इसमें जितना अंदर घुस रहे हैं, उतनी ही संख्या मुलजिमों और परीक्षा के आयोजन में खामियों की बढ़ती जा रही है.
कितने और गिरफ्तार होंगे अभी कहना मुश्किल
फिलहाल आज की तारीख तक 16 मुलजिम गिरफ्तार किए जा चुके हैं. आगे भी छापामारी जारी है. अभी यह चेन बहुत लंबी है. आज कुछ कह पाना मुश्किल है कि आइंदा इसमें और कितने लोग गिरफ्तार होंगे? उम्मीद यह जरूर है कि कुछ और लोग अभी इसमें गिरफ्तार हो सकते हैं." एसएसपी एसटीएफ ने आगे कहा, शुक्रवार को गिरफ्तार सूर्य प्रताप सिंह मूल रूप से गांव निवाड़ मंडी, जसपुर, जिला उधम सिंह नगर का रहने वाला है. यह मुलजिम राज्य सचिवालय के न्याय विभाग में अपर निजी सचिव के पद पर तैनात था.
आरोपी ने कबूल की पेपर लीक की बात
अभियुक्त ने गहन पूछताछ के बाद और पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर, मुख्य अभियुक्त मनोज जोशी (कोर्ट कर्मचारी) और गिरफ्तार निजी सचिव गौरव चौहान और गिरफ्तार अभियुक्त तुषार चौहान के माध्यम से, दो अन्य अभ्यर्थियों को पेपर लीक कराने की बात भी कबूली है. जब आरोपियों को एक दूसरे के सामने बैठाया गया, तो सबने कबूल भी लिया कि, उन्हीं मिलीभगत से परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक किया था.
परीक्षा से पहले वसूले 3-3 लाख रुपए
उत्तराखंड राज्य पुलिस एसटीएफ प्रमुख के मुताबिक, गिरफ्तार मुलजिमों से पता चला है कि इन्होंने दो अभ्यर्थियों से 18-18 लाख में पेपर का सौदा तय किया गया था. दोनों से ही 3-3 लाख परीक्षा से पूर्व वसूल लिए थे. जबकि बाकी 15-15 लाख रुपए परीक्षा के बाद मिलने थे. यह लेनदेन जसपुर में किया गया था. आरोपियों की गिरफ्तारी में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों ने एसटीएफ की काफी मदद की है.