मोटे अनाज की खेती की सुगबुगाहट फिर शुरू, क्या है प्लान, जाने

Update: 2023-08-20 12:09 GMT
उत्तराखंड:  बदलते वक्त में अब सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और लोग अपने परम्परागत खानपान की ओर लौट रहे हैं.मिलेट्स यानी जिस मोटे अनाज कहा जाता है जिससे लोगों ने दूरी बना ली थी, लेकिन अब वही मोटा अनाज अब उनकी थाली का अहम हिस्सा होता जा रहा है. वजह है मोटे अनाजों में पाए जाने वाले भरपूर पोषक तत्व जो आपके शरीर को तमाम रोगों से बचाने का काम करते हैं. यहीं वजह भी है कि इस साल अंतराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष को पूरे देश मे लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जा रहा है.
पहाड़ों की बात करे तो यहां सदियों से लोग मोटे अनाजों का की उपयोग करते आये हैं. जिसका उत्पादन अब कम होने से इसकी उपयोगिता भी कम हो रही है. मोटे अनाज के फायदे और उसकी खेती को बढ़ावा देने के विषय मे जानने के लिए हमने बात की पिथौरागढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से जो आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं.
पर्वतीय क्षेत्रों में अनुकूल स्थिति
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अलंकार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में मोटे अनाजों की अच्छी पैदावार हो सकती है क्योंकि मोटे अनाजों के लिए सिंचाई की आवश्यकता कम है.साथ ही इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते है. उन्होंने कहा कि अब मोटे अनाजों की डिमांड बढ़ रही है. ऐसे में अगर किसान बंधु इसकी खेती पर ज्यादा ध्यान दे तो वह अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है.
किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक बहुगुणा ने बताया कि वह गांव-गांव जाकर लोगों को मोटे अनाज जैसे मड़वा और बाजरा के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. जिसमें बिस्किट और इडली बनाना लोगों को सिखाया जा रहा है.
Tags:    

Similar News

-->