हेमकुंड साहिब के कपाट खुले, सफेद चादर से ढके ये नजारे मोह लेंगे आपका मन
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प्रसिद्ध तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार को विधि विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। पहली अरदास में 5000 श्रद्धालु शामिल हुए। रविवार को सुबह नौ बजे घांघरिया से तीर्थयात्रियों का पहला जत्था पंच प्यारों के साथ हेमकुंड साहिब पहुंचा। इसके बाद सुबह साढ़े नौ बजे गढ़वाल स्काउट और पंजाब से आए बैंड धुन के साथ गुरु ग्रंथ साहिब को सचखंड से पावन दरबार साहिब में ले जाया गया।
इसके बाद ठीक दस बजे हेमकुंड साहिब के कपाट खोले गए और तीर्थयात्रियों ने पहली अरदास की। हेमकुंड के मुख्य ग्रंथी सरदार मिलाप सिंह व सरदार कुलवंत सिंह की ओर से सुखमनी साहिब का पाठ किया गया। इस दौरान रागी भाई मोहकम सिंह और साथियों की ओर से प्रस्तुत गुरुवाणी कीर्तन से हेमकुंड साहिब में मौजूद संगत निहाल हो उठी।
सेना की 18 कमान के ऑफिसर कमांडर कर्नल आरएस पुंडीर, ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार और गुरुद्वारा ट्रस्ट के अध्यक्ष सरदार जनक सिंह ने भी कपाट खुलने के मौके पर हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे में शबद कीर्तन में प्रतिभाग किया।
हेमकुंड साहिब के समीप ही स्थित प्राचीन लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं। रविवार को हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने के शीघ्र बाद लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी विधि-विधान व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए।
समुद्र तल से 15200 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब में पल-पल मौसम बदल रहा है। शनिवार को देर शाम तक हेमकुंड साहिब में बारिश और बर्फबारी हुई, जिससे यहां ठंड में इजाफा हो गया है।
हेमकुंड साहिब में तीर्थयात्रियों को रात्रि ठहरने की व्यवस्था नहीं है, जिस कारण तीर्थयात्री दिनभर हेमकुंड साहिब में रहने के बाद रात्रि प्रवास के लिए घांघरिया पहुंचते हैं।