पिथौरागढ़ के लोगों की पासपोर्ट कार्यालय की मांग वर्षों बाद भी अधर में है लटकी

उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के लोगों की पासपोर्ट कार्यालय की मांग वर्षों बाद भी अधर में लटकी हुई है.

Update: 2022-07-01 17:02 GMT

उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के लोगों की पासपोर्ट कार्यालय की मांग वर्षों बाद भी अधर में लटकी हुई है. जिले की जनता को पासपोर्ट बनवाने के लिए 100 किलोमीटर से ज्यादा दूर अल्मोड़ा जिले जाना पड़ता है, या फिर उन्हें हल्द्वानी या देहरादून के चक्कर लगाने पड़ते हैं. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और स्मृति ईरानी की घोषणाओं के बाद पिथौरागढ़ की जनता को यहां पासपोर्ट ऑफिस खुलने की उम्मीद थी, लेकिन स्वीकृति मिलने के तीन साल बाद भी यहां अब तक पासपोर्ट ऑफिस नहीं खुल सका है, जिससे यहां की जनता को खासा परेशानी उठानी पड़ रही है.

सीमांत की जनता को पासपोर्ट बनाने अन्य जिलों में जाना पड़ता है, जिससे उन्हें तीन दिन का समय लग जाता है, जो जनता के समय के साथ-साथ धन की भी बर्बादी है. आज से 15 साल पहले पिथौरागढ़ जनपद में ही पासपोर्ट बना करते थे लेकिन सरकारें बदलती गईं और फैसले भी बदलते गए. जिसके बाद से पासपोर्ट सिर्फ राजधानी देहरादून में बनने लगे.
2018 में पहाड़ के लोगों को राहत देने के लिए अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में पासपोर्ट ऑफिस शुरू हो गया. पिथौरागढ़ में पासपोर्ट दफ्तर डाकघर से संचालित होने की स्वीकृति मिली. डाकघर अधिकारियों से जब इस विषय पर जवाब मांगा गया तो उन्होंने पिथौरागढ़ डाकघर में जगह की कमी को पासपोर्ट ऑफिस नहीं बन पाने का कारण बताया.
पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर ने पासपोर्ट ऑफिस न खुलने को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंनेकहा कि जिले में पासपोर्ट कार्यालय की मांग लंबे समय से चली आ रही है. सरकार ने अब तक इस मांग पर गौर नहीं किया है, जिसकी वजह से पिथौरागढ़ की जनता को पासपोर्ट बनवाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.


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