अदालत ने फर्जी नोट व स्टाम्प तैयार करने के दो दोषियों को दस-दस साल की सजा सुनाई
काशीपुर: द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार की अदालत ने फर्जी नोट व स्टांप तैयार करने के दो दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है। अभियोजन के अनुसार, 07 अक्टूबर 2017 को मुखबिर की सूचना पर जसपुर पुलिस ने ग्राम रहमापुर स्थित एक मकान के कमरे में दबिश दी, जहां लैपटॉप की मदद से स्टांप पेपर पर जाली नोट छापे जा रहे थे।
पुलिस पूछताछ में लैपटॉप व प्रिंटर में काम कर रहे व्यक्ति ने अपना नाम शहजाद निवासी मोहल्ला नई बस्ती, डेहरिया तथा दूसरे ने काशीपुर के मोहल्ला अल्ली खां निवासी मोईन उर्फ दानिश बताया। आरोपियों के कब्जे से नकली नोट, अंक पत्र, रबर की मोहरें, स्टाम्प, लैपटॉप, प्रिंटर आदि बरामद हुए थे।
बताया कि वह लैपटॉप से स्टांप पेपरों पर नोट छापते हैं और उन्हें असली की तरह बाजार में चलाते हैं। डिमांड पर वह फर्जी मार्कशीट, डीएल व अन्य प्रमाण पत्र भी बनाते हैं। आरोपियों के खिलाफ जसपुर थाने में विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर न्यायालय में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। अभियोजन की ओर से सात गवाह पेश किए गए।
न्यायालय ने अभियोजन की ओर से एडीजीसी रतन सिंह कंबोज के साथ बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनी और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का अनुशीलन किया। न्यायालय ने दोनों आरोपियों को धारा 420, 467,468,489क, 489ग, 489घ तथा धारा 66 घ आईटी एक्ट का दोषी माना। न्यायालय ने दोषियों को धारा 420 में तीन साल, धारा 489घ में 10 साल, धारा 66 घ में तीन साल, धारा 467 में 10 साल, धारा 468 में पांच साल, धारा 498क में दस साल तथा धारा 489ग में पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।