शहीद चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मौसम खराब होने के कारण आज नहीं पहुंचेगा

Update: 2022-08-16 12:48 GMT

हल्द्वानी न्यूज़: आपरेशन मेघदूत में लापता हुए लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर लेह में मौसम अनुकूल न होने के कारण मंगलवार को उनके हल्द्वानी स्थित आवास नहीं पहुंच सका। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, शहीद का पार्थिव शरीर अब बुधवार को लाया जाएगा। सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हल्द्वानी आने का कार्यक्रम भी रद हो गया है। इधर, मंगलवार सुबह से ही शहीद के हल्द्वानी स्थित आवास के आसपास चहलपहल बढ़ गई थी। परिजन ने साथ ही आमजन भी शहीद के पार्थिव शरीर के दर्शनों के इंतजार में थे। मूलरूप से हाथीपुर बिंता द्वाराहाट अल्मोड़ा और हाल हल्द्वानी के सरस्वती विहार धानमिल निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 1971 में 19 कुमाऊं रेजीमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। साल 1984 में सियाचिन में भारतीय सेना के आपरेशन मेघदूत के दौरान लापता हो गए थे। शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के बैच संख्या 5164584 के आधार पर 38 साल बाद पार्थिव शरीर बर्फ के नीचे बरामद हुआ। सैन्य अधिकारियों ने परिजनों को कॉल कर बैच व दस्तावेजों का मिलान कर चंद्रशेखर के पार्थिव शरीर की तस्दीक की थी।

शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के परिवार में उनकी 64 वर्षीय पत्नी शांती देवी, दो बेटियां कविता, बबीता और उनके बच्चे यानी नाती-पोते युवा के रूप में अंतिम दर्शन करेंगे। पत्नी शांती देवी उनके शहीद होने से पहले से नौकरी में थी जबकि उस समय उनकी छोटी बेटी डेढ़ साल और बड़ी बेटी कविता चार साल की थीं। जम्मू कश्मीर में सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे के लिए भारतीय सेना ने जो ऑपरेशन चलाया उसे महाकवि कालीदास की रचना के नाम पर कोड नेम ऑपरेशन मेघदूत दिया गया। यह ऑपरेशन 13 अप्रैल 1984 को शुरू किया गया था। साल 1984 के मई माह में लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में पेट्रोलिंग करने गए 19 कुमाऊं रेजिमेंट के अधिकारी एवं जवान हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे जिनमें से 15 सैनिकों का पार्थिव शरीर उसी बीच सेना के जवानों ने ढूंढ लिया था लेकिन लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला समेत एक और सैनिक लापता हो गए थे। जिसमें बीते दिवस सेना ने लापता दोनों जांबाजों के पार्थिव शरीर ग्लेशियर से बरामद किए जिसमें लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला की शिनाख्त हुई है।

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