राष्ट्र रक्षा में स्वामी दयानंद का अविस्मरणीय योगदान

Update: 2023-04-05 11:56 GMT

देहरादून न्यूज़: ज्वालापुर स्थित गुरुकुल महाविद्यालय के 116वें वार्षिक महोत्सव के तीसरे दिन का शुभारंभ वृहत यज्ञ से हुआ. यज्ञ के यजमान गुरुकुल आयुर्वेद फार्मेसी के व्यवसायाध्यक्ष डॉ. अतुल मगन रहे. वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में राष्ट्ररक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्रत्त्ी ने कहा राष्ट्र की संकल्पना वैदिक काल से चली आ रही है. स्वामी दयानन्द सरस्वती का योगदान राष्ट्र रक्षा में अविस्मरणीय रहा है.कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं केएपीजी कालेज कासगंज एटा के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार आर्य ने कहा कि भारत सारे संसार का गुरु रहा है, जिसने ज्ञान की परम्परा दी है.

राष्ट्र की रक्षा करना हम प्रत्येक मनुष्य का धर्म है. मुख्य वक्ता एवं श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. निरंजन मिश्र ने कहा कि विकृतियों को दूर करना परम आवश्यक है, राष्ट्र सुरक्षा के सद्सकल्प होने चाहिए. उत्तराखंड संस्कृत विवि शिक्षा शास्त्रत्त् विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नारायण मिश्र ने कहा कि राष्ट्र एक सांस्कृतिक अवधारणा है. सम्पूर्ण विश्व को आर्य बनाएं तथा राष्ट्र व संस्कृति की रक्षा करें. जेएस हिन्दू पीजी कालेज अमरोहा हिन्दी विभाग की प्रोफेसर डॉ. बीना रस्तोगी ने कहा कि सौभाग्य के लिए राष्ट्र की रक्षा का पालन करना चाहिए.

प्रोफेसर डॉ. मनुदेव बन्धु ने कहा कि हमें अपने गुरुकुल, भारतीय संस्कृति और संस्कारों की रक्षा करनी चाहिए. योगेश शास्त्रत्त्ी ने कहा कि हमें स्वामी दयानन्द सरस्वती के मार्ग पर चलकर राष्ट्र रक्षा में अपना सहयोग देना चाहिए. मंचासीन विद्वानों का संस्था के प्रधान स्वामी यतीश्वरानन्द, मंत्री सभा नन्दलाल सिंह राणा, कोषाध्यक्ष दिनेश आर्य, विद्या सभा सदस्य अजमोद मोदी एवं मुख्याधिष्ठाता सोमप्रकाश चौहान ने माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया.

संचालन पं हेमन्त तिवारी ने किया. द्वितीय सत्र में सांस्कृतिक सम्मेलन के अन्तर्गत गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत स्वामी दयानन्द सरस्वती एवं सरदार भगत सिंह के जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन किया गया.

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