नैनीताल: उत्तराखंड में कार्बेट पार्क के कालागढ़ वन प्रभाग में अवैध निर्माण व वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में जेल में बंद वन सेवा के पूर्व अधिकारी और निलंबित प्रभागीय वनाधिकारी किशन चंद की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
उच्च न्यायालय ने आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई से फिलहाल इनकार कर दिया है। कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कालागढ़ वन प्रभाग के पाखरो व मोरघट्टी में पेड़ों के अवैध पातन व अनियमितताओं की जांच प्रदेश का सतर्कता (विजिले़ंस) महकमा कर रहा है।
विजिलेंस की ओर से मुख्य आरोपी तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी को गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया है। आरोपी पिछले कुछ समय से जेल में बंद है। आरोपी की ओर से उच्च न्यायालय में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया। आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र पर विगत 24 जनवरी को सुनवाई होनी थी लेकिन न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ (वेकेशन कोर्ट) ने मामले को सुनने से मना कर दिया। इसके बाद यह मामला एक दिन बाद 25 जनवरी को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया लेकिन कोर्ट ने भी इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया। अब इस मामले में अगले सप्ताह नई बेंच में सुनवाई हो सकेगी। तब तक आरोपी किशन चंद को सलाखों के पीछे ही रहना पड़ेगा।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह न्यायालय ने आरोपी किशन चंद के शार्ट टर्म जमानत प्रार्थना पत्र को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र निचली अदालत में लंबित है। विजिलेंस की ओर से किशन चंद और अन्य आधे दर्जन लोगों के खिलाफ हल्द्वानी में भ्रष्टाचार, वन संरक्षण अधिनियम के अलावा भारतीय वन अधिनियम जैसे संगीन मामलों में अभियोग पंजीकृत किया है। साथ ही मामले की जांच की जा रही है।