एसटीएफ ने 10वीं, 12वीं मार्कशीट व फर्जी डिग्री बेचने वाले गिरोह के सरगना को खतौली से दबोचा

Update: 2023-03-14 06:32 GMT

देहरादून: फर्जी मार्कशीट, डिग्री बेचने वाले एक गिरोह के सरगना को उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। पुछताछ में पता चला कि आरोपित ने अपने एक साथी के साथ मिलकर एक फर्जी संस्था भी खोल रखी थी।कोतवाली पुलिस सरगना के साथी को पहले गिरफ्तार कर चुकी है। इस गिरोह में और भी सदस्य हो सकते हैं, जिनकी पुलिस और एसटीएफ तलाश में जुटी हैं। एसटीएफ का कहना है कि जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार एसएसपी आयुष अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दो फरवरी 2023 को शहर कोतवाली पुलिस ने धारा चौकी स्थित एमडीडीए कांप्लेक्स में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट व डिग्री की फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया था। मामले में एक आरोपित राज किशोर राय को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था, जबकि पुलिस महानिदेशक ने विवेचना एसटीएफ को सौंपी थी।जांच में पता चला कि आरोपितों ने एनसीआरई नाम से एक संस्था खोली हुई है। इस संस्था को ये मानव संसाधन विकास मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन होना बताते थे। इसी से ये लोगों को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट बनाकर 8 से 10 हजार रुपये में बेचा करते थे। जांच में पता चला था कि सैकड़ों लोगों को इस तरह की मार्कशीट बनाकर बेची गई है।

जांच के दौरान पता चला कि राज किशोर राय का एक और साथी सहेंद्र पाल है जो इस गिरोह का सरगना है। रविवार को एसटीएफ के इंस्पेक्टर अबुल कलाम, दरोगा यादवेंद्र बाजवा, दिलबर सिंह नेगी और नवीन जुराल ने टीम सहित दबिश देकर सहेंद्र पाल निवासी खतौली मुजफ्फरनगर को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। पूछताछ में सहेंद्र पाल ने बताया कि वह राजकिशोर राय को पिछले 8 साल से जानता है। राजकिशोर ने ही उसे फर्जी मार्कशीट बनाने की योजना बताई थी। इसके लिए उन्होंने एनसीआरई नाम की फर्जी संस्था खोली। इसमें वह खुद मेंबर था और राजकिशोर के साथ मिलकर फर्जी मार्कशीट छापता था।0आरोपितों ने अब तक कितने लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट बेचे हैं, इसकी जांच एसटीएफ करने में जुटी है। एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि अब तक यह सामने नहीं आया पाया कि आरोपितों ने किस-किसको सर्टिफिकेट बेचे हैं। उनके पास इसका कोई रिकार्ड भी नहीं है। पूछताछ में सामने आया है कि आरोपितों ने बिहार के रहने वाले लोगों के अधिक फर्जी सर्टिफिकेट बनाए हैं। एसटीएफ पूरे मामले की बारीकी से जांच कर रही है।

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