बहनें और खुली सिस्टम की पोल, सवाल- कब तक कागज पर चलेगा काम

Update: 2022-07-14 09:52 GMT

हर साल बरसात से पहले नदी-नालों के पास बसे लोगों को हटाने के आदेश जारी होते हैं। उन्हें नोटिस भी भेजे जाते हैं। यानी कागज पर होने वाले आदेशों पर कागजी नोटिस जारी होते हैं। इसके बावजूद हर साल भयावह हादसे होते हैं। इस साल भी आमवाला में निगम, प्रशासन और जिम्मेदार विभागों की इस चिट्ठी पत्री के खेल में दो बहनें बह गईं।

बुधवार को बारिश में उफनाए बरसाती नाले में दो सगी बहनें बह गईं। करीब तीन घंटे बाद बड़ी बहन का शव बरामद हो गया जबकि छोटी बहन की तलाश में पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें लगी हुई हैं। देर शाम तक छोटी बहन का पता नहीं चल पाया था। पुलिस ने बड़ी बहन के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया है।

हादसा रायपुर थाना क्षेत्र के तरला आमवाला का है, जहां कुछ लोग बस्ती में झुग्गी झोंपड़ी बनाकर रहते हैं। यहीं पर नाले के किनारे झोंपड़ी के पास दो सगी बहनें खुशी (आठ वर्ष) और रचना (छह वर्ष) पुत्री सुनील पासवान खेल रही थीं। अचानक नाले में पानी का तेज बहाव आया और दोनों बहनों को अपने साथ बहा ले गया।

दरअसल, हर साल बरसात से पहले होने वाली तैयारियों में बेहद महत्वपूर्ण विषय यही होता है। इस साल भी डीएम ने शहर और आसपास की 24 बस्तियों को चिह्नित कर यहां से लोगों को अस्थाई रूप से विस्थापित करने के आदेश जारी किए थे। इन्हें नगर निगम और सिंचाई विभाग को हटाना था। मगर, हाकिम के आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहे। कागजी आदेश अगले विभागों को मिले तो उन्होंने भी नोटिस पर नाम लिखकर भेज दिए।

हादसा हो गया तो जिलाधिकारी के आदेश याद आ रहे

जिलाधिकारी ने आगे मीटिंग की और कहा कि इस साल यह धरातल पर आना चाहिए। बावजूद एक व्यक्ति को न रैन बसेरा भेजा गया और न ही कहीं और विस्थापित किया गया। अब हादसा हो गया तो जिलाधिकारी के आदेश याद आ रहे हैं। नगर निगम ने भी अब यहां पर बस्तियों के लोगों को हटाने की तैयारियां कर दी हैं। बताया जा रहा है कि अब जल्द ही नगर निगम और सिंचाई विभाग की टीम इस तरह की बस्तियों पर कार्रवाई करेगा।

कभी कैंट तो कभी मालदेवता अब रायपुर

दरअसल, राजधानी के आसपास नदी नालों की संख्या बड़ी है। यहां पर पहाड़ों में होने वाली बारिश के चलते अचानक जलस्तर बढ़ जाता है। कभी कैंट क्षेत्र में इस तरह के हालात पैदा होते हैं तो कभी मालदेवता में। अब रायपुर में यह घटना हो गई। हालांकि, इस बार किसी को अंदाजा नहीं कि काल का खेल इस बार आमवाला तरला के इस बरसाती नाले में होगा।

सात साल पहले आमवाला आ गई थी बच्चियों की मां

बच्चियों के पिता सुनील पासवान लक्खीबाग में रहते हैं। उनकी पत्नी रचना के जन्म के बाद अपनी दोनों बेटियों को लेकर आमवाला में अपनी मां के यहां आ गई थी। बताया जा रहा है कि सुनील यहां पर नहीं आता था। परिवार में ये दो ही बच्चियां थीं।

नाले किनारे बर्तन धोते हैं कई परिवार

दरअसल, कई झुग्गी झोंपड़ियों इस नाले के किनारे बनी हुई हैं, जिस जगह हादसा हुआ वहां पर कई परिवार बर्तन धोते हैं। ये दोनों बच्चियां भी बुधवार को बर्तन धोने वाली जगह पर ही खेल रही थीं। तभी पानी के तेज बहाव से वह हिस्सा टूटा और दोनों बच्चियां बह गईं। कुछ दूरी पर ही पानी के तेज बहाव से एक खेत की मेड़ भी टूट गई है। इसी खेत से एसडीआरएफ और पुलिस ने खुशी का शव बरामद किया है।

हमने तैयारियां पूरी कर ली हैं। जल्द ही शहर क्षेत्र में इस तरह की बस्तियों के लोगों को अस्थाई रूप से विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मैने वहां का दौरा किया था।- सुनील उनियाल गामा, मेयर नगर निगम देहरादून

Tags:    

Similar News

-->