ऐसे बचाई अपनी जान, कोटद्वार में सैनिक पर घात लगाए बैठे गुलदार ने किया हमला

Update: 2022-08-16 09:21 GMT

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे।

38 साल पहले सियाचिन में शहीद हुए उत्तराखंड निवासी लांसनायक चन्द्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर आज हल्द्वानी पहुंचना था। लेकिन अब शहीद का पार्थिव शरीर आज घर नहीं पहुंचेगा। शहीद के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, मौसम खराब होने की वजह से पार्थिव शरीर नहीं ला पा रहे हैं। संभावना है कि बुधवार को पार्थिव शरीर लाया जा सके। वहीं, सीएम धामी का भी अल्मोड़ा पहुंचने का कार्यक्रम निरस्त हो गया है।

एसडीएम मनीष कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन सेना और उनके परिवार के लगातार संपर्क में है। बताया कि उनके परिवार के हल्द्वानी स्थित आवास में जाकर परिजनों से बात की गई है और ढांढस बंधाया गया।

शहीद के परिजनों ने बताया कि पार्थिव शरीर को तिकोनिया स्थित आर्मी कैंट एरिया में लाया जाएगा। इसके बाद पार्थिव शरीर घर लाया जाएगा। फिर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

ऑपरेशन मेघदूत में थे शामिल

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए झड़प हो गई थी। भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत रखा था।

ग्लेशियर की चपेट में आकर हुए थे शहीद

भारत की ओर से मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई थी। इसमें लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला भी शामिल थे। सभी सैनिक सियाचिन में ग्लेशियर टूटने की वजह से इसकी चपेट में आ गए जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही। भारत सरकार और सेना की ओर से सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गए थे लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था।


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