उत्तराखंड | मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि वैज्ञानिक आधार पर बरसाती और ग्लेशियर आधारित नदियों को आपस में जोड़ने के अभिनव प्रयास की जरूत है. उन्होंने सीमांत क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाएं मजबूत करने पर भी बल दिया.
नरेंद्रनगर में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड से निकलने वाली गंगा, यमुना, काली सहित अनेक बारहमासी नदियां मैदानी क्षेत्रों की जीवन रेखा भी है. उन्होंने सुझाव दिया कि वैज्ञानिक आधार पर बरसाती और ग्लेशियर आधारित नदियों के जोड़ने से इसका लाभ न केवल उत्तराखंड को बल्कि पूरे देश को होगा. उन्होंने इसके लिए उत्तराखंड समेत अन्य मध्य क्षेत्रीय राज्यों को केंद्र सरकार से तकनीकि एवं वित्तीय सहयोग देने का आग्रह किया. धामी ने कहा कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा आवश्यक सेवाओं के सृजन में अन्य राज्यों की अपेक्षा लागत अधिक रहती है. पर्यावरणीय प्रतिबंधों की वजह से विकास कार्यों के संचालन में कठिनाइयां रहती हैं, जबकि हमारे आर्थिक संसाधन भी सीमित हैं.
इन परिस्थितियों एवं संसाधनों की सीमित उपलब्धता के बावजूद राज्य की प्रति व्यक्ति आय को राष्ट्रीय औसत से लगभग दो गुना करने में सरकार सफल रही है. इस दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू आदि भी मौजूद रहे.
टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन निर्माण जरूरी
धामी ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की तर्ज पर टनकपुर से बागेश्वर रेलवे लाइन का निर्माण किया जाना भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा. कहा कि उत्तराखंड का आपदाओं जैसे भूस्खलन, अतिवृष्टि, वनाग्नि, ग्लेशियर खिसकना इत्यादि से चोली दामन का साथ है. इसके लिए राज्य को एक सशक्त वेदर फोर कास्टिंग सिस्टम, डॉप्लर रडार से युक्त अवस्थापना की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को बैंक की सुविधा हो, इसके लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं, इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा की.