उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की निष्पक्षता पर उठे सवाल
उत्तराखंड STF द्वारा भर्ती परीक्षाओं में घोटालों को लेकर की गयी कार्रवाई के बाद से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं
उत्तराखंड STF द्वारा भर्ती परीक्षाओं में घोटालों को लेकर की गयी कार्रवाई के बाद से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं. एक तरफ आयोग सफाई दे रहा है तो वहीं दूसरी तरफ परीक्षाओं को रद्द करने की मांग उठने लगी है. आयोग पर लगे घोटालों के आरोप के बाद से भर्ती को रद्द करने की उठ रही मांग से उन परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है, जिन्होंने मेहनत कर भर्ती परीक्षा में भाग लिया था.
दरअसल 2021 में स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसमें राज्य में 1.60 लाख युवाओं ने भाग लिया था, लेकिन इस भर्ती में बड़ी गड़बड़ी की बात सामने आई, जिस पर उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने सबसे पहले सवाल उठाए थे. भर्ती परीक्षा पर सवाल उठने के बाद पूरे मामले में कार्रवाई शुरू हुई और भर्ती प्रक्रिया का पेपर लीक करवाने वाले 6 आरोपियों को 37 लाख रुपये के साथ अरेस्ट किया गया, जिसमें से दो वो आरोपी हैं जो आयोग के साथ काम करते थे. एक आरोपी कम्प्यूटर ऑपरेटर और दूसरा आयोग के साथ पीआरडी का तैनात जवान है.
STF उन छात्रों की कर रहा है तलाश…
अब STF उन छात्रों की तलाश कर रहा है जिन्होंने परीक्षा में पेपर लीक का सहयोग लिया है. पूरे मामले में STF के एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि उनके पास सभी का रिकार्ड है लेकिन वो सभी छात्रों को एक मौका देंगे. लगातार भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले युवाओं ने इसको अपनी जीत बताया है. बेरोजगार संगठन के अध्यक्ष बोबी पंवार का कहना है कि ये उनकी बड़ी जीत है और अभी भी कई ऐसे लोग हैं जिनपर कार्रवाई होनी चाहिए. पंवार ने आगे कहा कि पेपर लीक मामले में आयोग को पेपर रद्द कर दोबारा पेपर करवाना चाहिए.
भर्ती परीक्षा में घोटालों की लम्बी फेहरिस्त
उत्तराखंड में साल 2015 से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अस्तित्व में आया था. आयोग ने अब तक करीब 90 भर्ती परीक्षाएं करवाई, लेकिन ये पहला मामला नहीं है जब आयोग की भर्ती परीक्षा सवालों के घेरे में हो. साल 2016 में ग्राम विकास अधिकारी के भर्ती पेपरों में भी धांधलेबाजी देखने को मिली जिसमें मुकदमा दर्ज हुआ और कई लोगों को जेल भेजा गया. साल 2017 में एलटी परीक्षाओं में भी घोटाले की बात सामने आई थी, जिस पर मुकदमा दर्ज हुआ और जांच हुई. साल 2018 में भी स्नातक परीक्षा भर्ती मामले में सवाल उठे थे तब भी मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें कुछ लोगों को अरेस्ट भी किया गया था.
साल 2018 में ही यूपीसीएल और पिटकुल में हुयी टेक्निकल ग्रेड परीक्षाओं में नकल के मामले में भी मुकदमा दर्ज हुआ, वहीं आयोग ने पेपर होने से पहले दो भर्ती परीक्षाओं को निरस्त भी किया, जिसमें सहायक लेखागार और टेक्निकल ग्रेड की भर्तियां रहीं.
बड़े अधिकारियों की मिलीभगत सम्भव
पूरे मामले पर आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना है कि आगे भी इस पर पूरी जांच होनी, और जो भी दोषी होगा उसको सजा मिलनी चाहिए. बडोनी ने कहा कि आयोग की हमेशा कोशिश रही कि भर्तियां निष्पक्ष हों लेकिन एक संगठित गिरोह है जो ऐसा काम कर रहा है और इस पर पूरी जांच होनी चाहिए. भले ही मामले में 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई हो, लेकिन माना जा रहा कि परीक्षा गड़बड़ी में कई और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत भी सम्भव है. जब से एसटीएफ ने भर्ती में घोटाले का खुलासा किया तब से आयोग भी शक के घेरे में आ गया है.