दृष्टिबाधित लड़कियों के लिए व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन

Update: 2023-02-26 09:08 GMT

रुड़की: जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (जीएटीआई) के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड (एआईसीबी) ने को दृष्टिबाधित लड़कियों के लिए बीएसबीई ऑडिटोरियम, रुड़की मेंव्यक्तित्व विकास कार्यशाला आयोजित करने के लिए सहयोग किया।

कार्यशाला आईआईटी रुड़की के दृष्टिबाधित वर्तमान और पूर्व छात्रों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र है। व्यक्तित्व विकास के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले कई सत्र आयोजित किए गए, जैसे मिरेकल मॉर्निंग रूटीन फॉर रीप्रोग्रामिंग पर्सनल रियलिटी, रोल ऑफ़ मेन्टल वेल बीइंग एंड पर्सनालिटी डेवलपमेंट, एक्सप्लोरिंग क्रिएटिव एंड इनोवेटिव डाइमेंशन्स, ट्रेनिंग सेशन ऑन इफेक्टिव कम्युनिकेशन यूसिंग जोहरी विंडो (व्यक्ति की आत्म-जागरूकता और समूह स्थितियों में विकास के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक), समय प्रबंधन, प्राथमिकताएं निर्धारित करना, जीवन की घटनाओं के लिए अनुभवों को अनुकूलित करना और एआईसीबी की लड़कियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम।

ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड (एआईसीबी) नेत्रहीन व्यक्तियों का एक निकाय है जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए लाभकारी रोजगार की वकालत करता है और उनकी रोजगार क्षमता, कौशल निर्माण और क्षमता वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम करता है। शिक्षित करने, प्रशिक्षण देने, जागरूकता बढ़ाने, आत्मविश्वास बढ़ाने, विकल्पों के विस्तार, संसाधनों तक पहुंच बढ़ाने और उन पर नियंत्रण के संदर्भ में आईआईटी रुड़की ने महिलाओं के लिए कई पहलें भी शुरू की हैं, जिनमें शकुंतला (स्कीम फॉर एस्पिरेंट्स ऑफ़ नॉलेज अंडर टैलेंट एडवांसमेंट), संस्थान अनुसंधान फैलोशिप में महिला संकाय के लिए फैलोशिप और आयु में छूट शामिल हैं।

गति (जीएटीआई)की नोडल अधिकारी प्रो. प्रणिता सारंगी ने यह भी कहा कि यह कार्यशाला अपनी तरह की पहली कार्यशाला है जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों की चुनौतियों के प्रति हमारे समुदाय के लिए एक संवेदीकरण कार्यक्रम है। दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन गति, आईआईटी रुड़की द्वारा छात्र टीम के सदस्यों के सहयोग से किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर के के पंत, निदेशक, आईआईटी रुड़की, डॉ. मंजुला रथ, समन्वयक, एआईसीबी और प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी, डीन प्रायोजित रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी, आईआईटी रुड़की और प्रो. प्रवींद्र कुमार, बायोसाइंसेस और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख, उपस्थित थे।

अन्य वक्ताओं में ग्रांट थॉर्नटन के सहायक प्रबंधक शामिल थे, जिन्हें दृष्टिबाधा है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों के साथ रोल मॉडल के रूप में बातचीत की। प्रोफेसर ताशी नौटियाल, प्रोफेसर भौतिकी विभाग, पूर्व प्रबंधक, अनुश्रुति बधिर अकादमी (एएडी) ने भी आईआईटी रुड़की में दृष्टिबाधित बीटेक छात्रों के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। इसके अलावा, एचओडी नेत्र विज्ञान विभाग, एम्स, ऋषिकेश; क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द एम्पावरमेंट ऑफ़ पर्सन्स विथ विसुअल डिसाबिलिटीस (दिव्यांगजन), देहरादून; कमांडिंग ऑफिसर, ३ यूके, सीटीआर, एनसीसी; इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन के एसोसिएट डीन, आईआईटी रुड़की भी उपस्थित थे। प्रतिभागी आईआईटी के छात्रों के साथ बातचीत करके, उनकी कहानियों को सुनके, और कैसे उन्होंने दृष्टिबाधा की चुनौतियों को दूर किया, इससे अत्यधिक प्रेरित हुए।

बधिरों के लिए अनुश्रुति अकादमी (एएडी) का दौरा किया गया। एएडी आईआईटी रुड़की परिसर में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) की एक विनम्र सामाजिक पहल है। स्कूल रूड़की, उत्तराखंड, और उसके आसपास बोलने और सुनने में अक्षम बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है।

अनुश्रुति अकादमी में, प्रबंधक और संयुक्त प्रबंधक, एएडी और प्रिंसिपल एएएल ने श्रवण बाधित छात्रों के साथ एआईसीबी की लड़कियों से बातचीत की। टीआईडीईएस बिजनेस इनक्यूबेटर में, आईआईटी रुड़की में प्रतिभागियों ने विकलांग लोगों की मदद के लिए उत्पादों पर काम कर रही दो स्टार्टअप कंपनियों के साथ बातचीत की। समापन समारोह में एआईसीबी के प्रतिभागियों को प्रो. के.के. पंत द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।

प्रोफेसर के के पंत, निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा, “एआईसीबी जुनून और व्यावहारिकता के एक सराहनीय मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है। हम इस दो दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला में सम्मिलित होने पर गौरवान्वित हैं, जिसका उद्देश्य दृष्टिबाधित युवाओं को महत्वपूर्ण कैरियर कौशल से लैस करना है। यह कई सामाजिक पहलों में से एक है जिसे आईआईटी रुड़की ने नेत्रहीन लड़कियों की रोजगार क्षमता, कौशल निर्माण और क्षमता वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया है।”

एआईसीबी की समन्वयक, डॉ. मजुला रथ ने कहा, “ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड सक्रिय रूप से दृष्टिबाधित महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रहा है, उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्रदान कर रहा है और आत्म-मूल्य की उभरती हुई भावना और दैनिक जीवन में स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों में संलग्न है। गति आईआईटी रुड़की के सहयोग से यह व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम महिलाओं को अपना आत्मविश्वास बढ़ाने और अपनी छिपी प्रतिभा को निखारने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक कदम है।”

एआईसीबी की प्रतिभागियों में से एक स्वाति तोमर ने कहा, “हमने अब तक इस तरह की कार्यशाला में कभी भाग नहीं लिया है। मैं डॉ. मंजुला रथ की बहुत आभारी हूं जिन्होंने यह अवसर प्रदान किया और इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आईआईटी रुड़की के संकाय सदस्यों को धन्यवाद देती हूं।

इस वर्कशॉप में हमने बहुत सी नई चीजें सीखी हैं जो बहुत मददगार साबित होने वाली हैं। हमने सीखा है कि ध्यान कैसे करना है, अपने समय का प्रबंधन कैसे करना है, अपने लक्ष्यों को कैसे निर्धारित करना है, जीवन में अपनी भावनाओं और चुनौतियों से कैसे निपटना है। हमने यह भी सीखा है कि हम कैसे रचनात्मक हो सकते हैं और उद्यमी बन सकते हैं। आईआईटी रुड़की में हर कोई हमारे लिए बहुत अच्छा था और हम सभी को तहे दिल से धन्यवाद देते हैं। हम सभी सीखों को अपने जीवन में लागू करने जा रहे हैं।

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