गंगा नदी में सीवर का पानी गिरने और गंदगी को लेकर लोगों ने मेयर को जमकर खरी-खोटी सुनाई
गंगा की अविरलता और निर्मलता यानी स्वच्छता (cleanliness of ganga) पर अरबों रुपए बहाए जा रहे हैं, लेकिन मां गंगा की हालत नहीं सुधर पाई है. आलम तो ये है कि हरिद्वार के राम घाट पर सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है.
जनता से रिश्ता। गंगा की अविरलता और निर्मलता यानी स्वच्छता (cleanliness of ganga) पर अरबों रुपए बहाए जा रहे हैं, लेकिन मां गंगा की हालत नहीं सुधर पाई है. आलम तो ये है कि हरिद्वार के राम घाट पर सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है. जिससे गंगा तो प्रदूषित हो रही है. ऐसे में नमामि गंगे समेत स्वच्छ गंगा मिशन महज हवाई साबित हो रहे हैं. स्थानीय लोग कई बार सीवर लाइन को ठीक करने और गंगा को स्वच्छ रखने की मांग कर चुके हैं, उसके बावजूद भी जिम्मेदार गंभीर नहीं है. जिसका खामियाजा हरिद्वार मेयर अनीता शर्मा को विरोध स्वरूप झेलना पड़ा.
दरअसल, हरिद्वार मेयर अनीता शर्मा (Haridwar Mayor Anita Sharma) के राम घाट पर टॉयलेट के जीर्णोद्धार का उद्घाटन करने पहुंचीं थी. जहां स्थानीय लोगों ने मेयर को घेर लिया और गंगा में गिरते सीवर (sewer falling in ganga river) को दिखाया. इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने गंगा में प्रदूषण और गंदगी पर मेयर को खूब खरी-खोटी भी सुनाई. यहां एक बिल्डिंग से सीवर का पानी गंगा में जा रहा था. साथ ही घाट पर गंदगी का अंबार लगा हुआ था.
शिकायत के बावजूद सुध लेने नहीं आते जिम्मेदारः स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार उन्होंने स्थानीय पार्षद और विभागों में सीवर को लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई भी सुध लेने नहीं पहुंचा. गंगा तो प्रदूषित हो रही है. साथ ही बदबू और गंदगी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. गंदगी की वजह से लोग राम घाट पर पूजा-अर्चना और आचमन भी नहीं कर पा रहे हैं. आज जब मेयर अनीता शर्मा यहां पहुंची है तो उन्हें गंगा की स्वच्छता और सीवर की गंदगी से अवगत कराया गया है. जिस पर मेयर ने जल्द से जल्द सीवर को ठीक करने का आश्वासन दिया है.
उद्गम स्थल से ही बदलने लगा गंगा का स्वरूपः कुछ दशकों पहले की बात करें तो गंगा अपने उद्गम स्थल गंगोत्री से हरिद्वार तक संकरी रास्तों से होकर आती थीं, लेकिन पिछले कुछ दशकों से गंगा का स्वरूप बदल गया और अब अपने उद्गम स्थल गंगोत्री से करीब 150 किलोमीटर दूर उत्तरकाशी तक ही संकरे रास्तों से होकर पहुंचती हैं और फिर उत्तरकाशी के बाद से ही गंगा का विस्तार हो जाता है. हालांकि, गंगा के बदले स्वरूप की मुख्य वजह मानव ही है. क्योंकि लगातार गंगा में हो रहे खनन के कारण ना सिर्फ गंगा का स्वरूप बदला है, बल्कि लगातार हो रहे पर्यावरण में बदलाव से गंगा नदी के तेज बहाव के चलते भी स्वरूप में बदलाव आया है.
लॉकडाउन के दौरान गंगा कम हुई प्रदूषितः गंगा नदी को खुद मानव जाति ने बहुत अधिक प्रदूषित किया है, क्योंकि इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही का है, जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू हो गया था. उस दौरान गंगा के निर्मलता और अविरलता को देखकर सभी हैरान हो गए थे, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान गंगा नदी शीशे की तरह साफ और पारदर्शी हो गई थी. यानी कुल मिलाकर देखें तो जब गंगा नदी में आने वाली सभी गंदगी पूरी तरह से बंद हो गई थी, तो उस दौरान गंगा का स्वरूप कुछ और ही निकल कर सामने आया, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि एक बार फिर गंगा नदी प्रदूषित नजर आ रही है.
हरिद्वार के बाद अधिक प्रदूषित है गंगाः वर्तमान स्थिति को देखें तो अभी फिलहाल गंगा अपने उद्गम स्थल गंगोत्री से हरिद्वार तक दैवीय गुणों से भरपूर है. लेकिन हरिद्वार के बाद से ही गंगा नदी की अविरलता और निर्मलता में काफी बदलाव आया है, क्योंकि पिछले कुछ दशकों से गंगा को प्रदूषित करने में मानव जाति ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. इसकी मुख्य वजह यह है कि गंगा नदी में ना सिर्फ सभी इंडस्ट्री के गंदे पानी को डाला जाता है, बल्कि कई जगहों पर सीवरेज भी इसी गंगा नदी में छोड़ा जाता रहा है, जिसके चलते हरिद्वार से आगे बहने वाली गंगा नदी प्रदूषित होती चली गई.