उत्तराखंड: पिथौरागढ़ में आज भी तमाम पेयजल योजना चलने के बाद भी शहर की आधी आबादी अभी भी प्राकृतिक जल स्रोतों पर ही निर्भर है. शहर के ऐसे कई इलाके हैं, जहां गर्मियों में लोग जल संकट से जूझ रहे हैं और पानी के लिए उन्हें दूर जाकर नौलों-धारों से ही पानी लाना पड़ रहा है. बात अगर जिले के ग्रामीण इलाकों की करें तो कई इलाकों में जल संकट काफी गहरा गया है और लोग गांव छोड़ने को भी मजबूर हो रहे हैं.
बरसात होते ही नलों में दूषित जल आ रहा है तो वहीं गर्मियों में 3 तीन में एक बार ही पानी की सप्लाई लोगों को मिल पाती है, जो पेयजल आपूर्ति के लिए काफी नहीं है. पिथौरागढ़ में आये दिन लोग जिलाधिकारी कार्यालय में पानी की समस्या को लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन स्थिति अभी नहीं सुधर पाई है और आज भी पहाड़ों में लोग नौले धारों पर ही निर्भर है. कई इलाकों के तो प्राकृतिक स्रोत भी सुख चुके हैं.
पानी की समस्या पर पिथौरागढ़ के सीनियर सिटीजन और समाजिक कार्यकर्ता भगवान रावत ने इसका जिम्मेदार भृष्टाचार की भेंट चढ़ चुके अधिकारियों को बताया है, जिनका कहना है कि अरबों रुपये की पेयजल योजनाएं जिले में होने के बाद भी आबादी की प्यास नहीं बुझ रही है. जो हर घर जल योजना सरकार की है.
खत्म होगी पानी की परेशानी
पेयजल आपूर्ति की समस्या को लेकर पिथौरागढ़ जल संस्थान के अधिशासी अभियंता सुरेश जोशी को अवगत कराया गया. जिनका कहना है कि शहर में सप्लाई सिस्टम को बेहतर करने के लिए प्लान बनाए जा रहे है. जिसके बाद पानी की दिक्कत वाले इलाकों में भविष्य में लोगों को दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी.
पहाड़ों में आज नौले धारे ही लोगों को प्यास बुझा रहे हैं. ऐसे में इन प्राकृतिक जल स्रोंतों की महत्ता को समझ इन्हें संरक्षण की काफी जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी को भी जल संकट से न जूझना पड़े.