होलिका दहन के लिए मिलेगा केवल इतना समय

Update: 2024-03-24 12:59 GMT
उत्तराखंड :  फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर 100 साल बाद होली पर चंद्रग्रहण का भी साया पड़ रहा है। सौभाग्य से चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए होली या होली पूजन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। भद्रा के कारण इस बार होलिका 24 मार्च रविवार को देर से जलेगी। होलिका दहन की समय भी केवल सवा घंटे तक ही रहेगा।
होली पर भद्रा का साया
धार्मिक-सामाजिक एकता और रंगों का त्योहार होली पर होलिका दहन को लेकर शहर के चौक-चौराहों, गली महल्लों में लकड़ियों से होलिका दहन की तैयारी हो गयी है। बता दें रविवार को होलिका दहन होगा। भद्रा के कारण इस बार होलिका दहन के लिए केवल एक घंटा 14 मिनट का समय रहेगा।
ये है होलिका दहन का मुहुर्त
बता दें इस बार इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि रविवार सुबह नौ बजकर 54 मिनट से सोमवार दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। इस बार होलिका दहन के दिन भ्रदा का साया रहेगा, जो सुबह नौ बजकर 54 मिनट से रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन का मूहुर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
भारत में नहीं है सूतक
होलिका दहन के अगले दिन यानी 25 मार्च को रंगोत्सव है। रंगोत्सव पर चंद्रग्रहण सुबह 10.40 से अपराह्न तीन बजकर एक मिनट तक पड़ेगा। ये भारत में दिखाई नहीं देगा और न ही भारत में इसका सूतक लगेगा। यह उपछाया चंद्रग्रहण होगा। चूंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए होलिका दहन या रंगोत्सव पर यह मान्य नहीं होगा।
होलिका दहन पूजा की विधि
होलिका दहन के लिए एकत्रित की गई लकड़ी को कच्चा सूत से तीन या सात बार लपेटें। इसके बाद उसपर गंगाजल या शुद्ध पानी, फूल और कुमकुम छिड़क कर पूजा करें। पूजा के लिए माला, रोली, अक्षत, बताशे-गुड़, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल सब का प्रयोग करें। होलिका के साथ ही भगवान नृसिंह की भी पूजा करें। होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
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