सभी पोलिंग स्टेशनों के दोबारा निर्धारण के लिए चार अगस्त से 24 अक्तूबर के बीच अभियान चलेगा। इसके बाद नौ नवंबर को इंटिग्रेटेड मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा।
उत्तराखंड में 18 साल की उम्र पूरी करने वाले युवाओं को साल में एक बार नहीं चार बार वोट बनवाने का मौका मिलेगा। निर्वाचन कार्यालय की ओर से विधानसभा मतदाता सूची को लेकर अभियान शुरू होने जा रहा है। दूसरी ओर, निर्वाचन विभाग ने मतदाताओं से अपील की है कि वह अपने वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करवा लें। हालांकि यह व्यवस्था वैकल्पिक है।
बुधवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता करते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने, नाम-पते में संशोधन, मतदेय स्थलों के पुनर्निर्धारण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी पोलिंग स्टेशनों के दोबारा निर्धारण के लिए चार अगस्त से 24 अक्तूबर के बीच अभियान चलेगा। इसके बाद नौ नवंबर को इंटिग्रेटेड मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। नौ नवंबर से आठ दिसंबर के बीच क्लेम और आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी।
निर्वाचन कार्यालय की ओर से 19 नवंबर, 20 नवंबर, तीन दिसंबर और चार दिसंबर को वोटर बनाने के लिए विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। सभी आपत्तियों का निपटारा 26 दिसंबर तक किया जाएगा। पांच जनवरी को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि अभी तक 18 साल की आयु पूरी करने वाले युवाओं को केवल एक जनवरी की अर्हता तिथि के आधार पर वोटर बनने का मौका दिया जाता था। लेकिन अब उन्हें एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्तूबर की चार अर्हता तिथियों के आधार पर अपना वोट बनवाने का मौका दिया जाएगा।
वोटर कार्ड में आधार नंबर जुड़वाने की अपील
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि चुनाव आयोग ने सभी मतदाताओं से अपने वोटर आईडी के साथ आधार नंबर को जुड़वाने की अपील की है। इसके लिए अलग से फॉर्म भी भरा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह केवल वैकल्पिक व्यवस्था है। सभी मतदाताओं की आधार से जुड़ी जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी।
प्रदेश के 289 मतदेय स्थलों का होगा विलय
निर्वाचन कार्यालय की ओर से मतदाता सूची तैयार करने से पूर्व की गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। प्रथम दृष्टया प्रदेश के 289 मतदेय स्थल ऐसे चिन्हत किए गए हैं, जिनका विलय किया जाएगा। एक मतदेय स्थल पर अधिकतम 1500 मतदाता ही रहेंगे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के तहत पहले चरण में वर्तमान मतदेय स्थलों का स्थलीय वेरिफिकेशन किया जा रहा है। जो मतदेय स्थल जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं, उनकी जगह दूसरी सरकारी इमारतों में मतदेय स्थल बनाए जाएंगे। मतदेय स्थल किसी प्राइवेट भवन, पुलिस थाना, अस्पताल, धर्मशाला, मंदिर या धार्मिक स्थान पर नहीं होगा। एक मतदेय स्थल पर अधिकतम 1500 वोटर ही होंगे। यह भी देखा जाएगा कि किसी मतदेय स्थल तक मतदाता को पहुंचने में दो किलोमीटर से अधिक की पैदल दूरी तो तय नहीं कर पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 289 मतदेय स्थल ऐसे चिन्ह्ति किए गए हैं जिनका विलय प्रस्तावित है। इनमें सबसे ज्यादा 97 हरिद्वार के हैं। इसके अलावा देहरादून के 66, नैनीताल के 37, उत्तरकाशी, चमोली के चार-चार, रुद्रप्रयाग के 12, टिहरी के 11, पौड़ी के 20, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा के छह-छह, बागेश्वर व चंपावत के पांच-पांच, ऊधमसिंह नगर के 16 मतदेय स्थलों का विलय होगा।