Nainital नैनीताल: जिस 22 बीघा जमीन को लेकर कमलुवागांजा में सोमवार रात अधिवक्ता उमेश नैनवाल की गोली मारकर हत्या की गई थी, वह न तो उनकी है और न ही आरोपी तहेरे भाई दिनेश की। यह जमीन उमेश और दिनेश के दूर के चाचा की थी। चाचा का अब कोई वारिस न होने के कारण ही दोनों के बीच जमीन कब्जाने की कोशिश के चलते विवाद था।
कमलुवागांजा में रामलीला मंचन के दौरान पूरनपुर नैनवाल निवासी उमेश की हत्या कर दी गई थी। वह बेटे आदित्य को साथ लेकर वहां पहुंचे थे। आदित्य जिस वक्त परशुराम का अभिनय कर रहा था, उसी वक्त उमेश के गोली मार दी गई थी। यह हमला तहेरे भाई दिनेश पर करने का आरोप है। पीछे से आए दिनेश ने तमंचा सटाकर उन्हें गोली मार दी थी। तमंचा वहीं फेंककर वह भाग निकला था। अस्पताल ले जाने पर उमेश को मृत घोषित कर दिया गया था।
इस पूरे घटनाक्रम में जमीनी विवाद निकलकर सामने आया। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि जिस जमीन को लेकर विवाद था, वह उमेश की दूर की रिश्तेदारी के चाचा की थी। चाचा की मौत के बाद उनके बेटे हेम चंद्र नैनवाल के नाम हो गई थी। मानसिक रूप से कमजोर रहे हेम चंद्र की बीते जून में मौत हो चुकी है। हेम चंद्र की मां का भी निधन हो चुका है।
उसी जमीन पर हेम चंद्र का ममेरा भाई नवीन चंद्र खोलिया खेती करता है। वहीं बंटवारे को लेकर उमेश व एसेंट स्कूल के मालिक दिनेश नैनवाल के बीच विवाद चल रहा था। उमेश जमीन का 30 प्रतिशत हिस्सा नवीन को देने के लिए कह रहे थे। लेकिन दिनेश इसके लिए तैयार नहीं था और पूरी ही जमीन मांग रहा था। इसी के चलते कुछ समय पहले दिनेश ने खेत में ट्रैक्टर से फसल जोत दी थी। इसके बाद मामला एसडीएम कोर्ट पहुंच गया। साथ ही उमेश और दिनेश के बीच रंजिश बढ़ गई। दिनेश ने उमेश को जान से मारने की धमकी भी दी थी।
पुलिस ने लगाई गलत रिपोर्ट
रंजिश बढ़ने पर उमेश ने 22 जून को को मुखानी थाना पुलिस को तहरीर देकर अपनी जान को खतरा जताया था। इसमें उमेश ने दोनों तहेरे भाइयों के नामों का उल्लेख किया था। सोमवार को घटना के बाद उमेश के रिश्तेदार ने पुलिस पर गलत रिपोर्ट देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पहले एक थानाध्यक्ष ने इस मामले में दबाकर रखा। फिर नए थाना प्रभारी ने ज्वाइन करते ही रिपोर्ट लगा दी कि उमेश की जान को कोई खतरा नहीं है। यदि पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया होता तो उमेश की हत्या नहीं होती।
दिनेश पर 2005 में अपने साझीदार की हत्या का लगा था आरोप
दिनेश 2005 से प्रॉपर्टी का काम भी कर रहा है। देवलचौड़ के रहने वाले सेना से सेवानिवृत चंदन पोखरिया के संग मिलकर यह काम शुरू किया था। वर्ष 2005 में ही चंदन पोखरिया की बाइक सवार शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तब हत्या का आरोप दिनेश पर लगा था। इस आरोप में उसे लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। पुलिस के अनुसार इस मामले में बाद में गवाहों के अपने बयानों से पलटने के कारण दिनेश जेल से छुटकर बाहर आ गया था। अधिवक्ता उमेश ने मुखानी थाने में दी गई तहरीर में भी दिनेश के इस मामले का जिक्र किया था।