नैनीताल हाईकोर्ट: सौंदर्यीकरण के बहाने भारी भरकम निर्माण पर स्पष्टीकरण मांगा

Update: 2022-03-03 14:06 GMT

नैनीताल हाई कोर्ट: हाई कोर्ट ने नैनीताल के सूखाताल झील में सौंदर्यीकरण और भारी भरकम निर्माण कार्यों के मामले में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की है। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सचिव पीडब्ल्यूडी, सचिव सिंचाई ,कुमाऊं कमिश्नर और जिलाधिकारी से 21 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी। यमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मामले में पक्षकारों सरकार, डीडीए, सचिव लोनिवि, सचिव सिंचाई, कुमाऊं कमिश्नर व जिलाधिकारी नैनीताल से स्थिति स्पष्टï करने के निर्देश दिए हैं


बता दे की सिविल सोसाइटी नैनीताल की ओर से पिछले साल दिसंबर में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजा गया था। जिसमेें कहा गया है कि सूखाताल झील पुनर्जीवित करने व सुंदरीकरण से संबंधित प्रोजेक्ट क्रियान्वयन से पहले विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने माना था कि सूखाताल जलागम क्षेत्र नैनी झील का रिचार्ज जोन है। यहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुए हैं। पिछले 170 सालों में अनेक छोटे-बड़े भूस्खलन हुए हैं। 1880 के नैनीताल मेें आए विनाशकारी भूस्खलन में 151 लोगों की मौत हुई थी, तब नैनीताल की आबाद करीब दस हजार थी। अब संवेदनशील ढलान वाले शहर की आबादी करीब एक लाख से अधिक है। पिछले सालों में शहर में बड़े पैमाने पर बेरोकटोक अवैध निर्माण हुए हैं। नैनीताल झील का मुख्य रिचार्ज जोन होने के बाद भी सूखाताल में अवैध व अवैज्ञानिक तरीके से बेरोकटोक निर्माण किए जा रहे हैं। इस झील के डूब क्षेत्र में पहले से पक्के आवास बना दिए गए, जिनको नहीं हटाया गया। सूखाताल प्राकृतिक जलागम क्षेत्र है और यहां से करीब 40-50 प्रतिशत भूमिगत पानी से नैनी झील रिचार्ज होती है। इसी पत्र को कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में लिया है। बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्या


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