नई दिल्ली: कांग्रेस और एचडी कुमारस्वामी की जनता दल-सेक्युलर के विरोध के बावजूद विवादास्पद एंटी कन्वर्जन बिल (धर्मांतरण विरोधी विधेयक) को कर्नाटक के उच्च सदन ने पारित कर दिया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जमात उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सुहेब कासमी ने कहा कि धर्म की रक्षा करने का सबको अधिकार है. लव जिहाद नाम की कोई चीज नही है. मुस्लिम लड़का जब पढ़कर किसी बड़े ओहदे पर चला जाता है तो वह हिंंदू लड़की से शादी कर लेता है और मुस्लिम लड़की घर में बैठी रह जाती है. उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम समाज भी चाहता है कि ऐसे लव जिहाद पर पाबंदी लगे. क्योंकि हमारे मुल्क के अंदर ऐसी शादियां नाकाम रही हैं. मां-बाप रोते रह जाते हें और नालायक लोग समाज से बाहर जाकर शादी कर लेते हैं. बाद में इन्हें बेहद जलील होना पड़ता है. मालूम हो कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक- 2021, जिसे एंटी कन्वर्जन बिल के रूप में जाना जाता है, दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. लेकिन इसे उच्च सदन के सामने नहीं लाया गया, जहां सत्तारूढ़ भाजपा के पास बहुमत की कमी थी.
इसके बजाय सरकार ने जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए एक अध्यादेश पारित किया था. एमएलसी चुनावों के बाद भाजपा के बहुमत हासिल करने के बाद विधेयक को उच्च सदन में पेश किया गया. कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता बीके हरिप्रसाद ने इस बिल को लेकर कहा कि यह एक असंवैधानिक विधेयक है और संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 15 और 29 के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि यह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है. लेकिन ट्रेजरी बेंच से बोलने वाले ज्यादातर सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ जहर उगल रहे थे. वहीं कर्नाटक के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि जबरन धर्मांतरण से बचने के लिए इस बिल की परिकल्पना की गई है. उन्होंने आगे कहा कि हम किसी को भी प्रतिबंधित नहीं कर रहे हैं. लेकिन यदि जबरन धर्मांतरण किया जाता है और अगर हमें शिकायत मिलती है, तो कार्रवाई की जाएगी.