उत्तराखंड की 200 से ज्यादा जीएसटी फर्मों की होगी जांच

Update: 2023-05-20 12:26 GMT

नैनीताल न्यूज़: उत्तराखंड में पंजीकृत हुई 200 के करीब जीएसटी फर्म जीएसटी विभाग की रडार पर आ गई हैं. केंद्र सरकार से मिली खुफिया सूचना के आधार पर इन फर्मों की जांच शुरू कर दी गई है.

केंद्र सरकार ने देशभर में बड़ी संख्या में टैक्स चोरी करने के लिए बनाई गई जीएसटी फर्मों की पहचान की है. इसके तहत 200 के करीब फर्म उत्तराखंड में भी पंजीकृत हैं. राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन फर्मों की जांच के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है.

राज्य कर आयुक्त डा. अहमद इकबाल ने बताया कि 15 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान के दौरान फर्मों का भौतिक सत्यापन करने से लेकर उनके द्वारा किए गए कारोबार की भी जांच होगी. इन फर्मों का पंजीकरण फर्जी पते पर करने के साथ ही इनका उपयोग गलत इनपुट क्रेडिट के लिए भी किए जाने की आशंका है. जबकि कई ऐसी भी फर्म होने की आशंका है जो रिटर्न ही दाखिल नहीं कर रही हैं. ऐसे में राज्य भर में सघन अभियान चलाकर फर्मों की जांच की जा रही है. उधर, राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त अनिल सिंह ने बताया कि से शुरू हुए अभियान के तहत अब तक 44 कंपनियों की जांच की जा चुकी है.

पिछले साल भी चला था अभियान राज्य में जीएसटी चोरी के खिलाफ पिछले साल भी अभियान चलाया गया था. इस दौरान एक- एक फर्म की जांच कर पड़ताल की गई. विभाग के सूत्रों के अनुसार पिछले साल चलाए गए अभियान से जीएसटी राजस्व में इजाफा होने के साथ ही कारोबारियों में डर भी बैठा है. ऐसे में इस साल एक बार फिर से अभियान चलाकर फर्जी पंजीकरण की जांच कराई जा रही है.

120 करोड़ की हुई वसूली

राज्य कर विभाग की ओर से जीएसटी जमा न करने वाले कारोबारियों एवं फर्मों के खिलाफ जगातार कार्रवाई की जाती है. वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश में 35 हजार ऐसे कारोबारी और व्यापारी थे जो टैक्स जमा नहीं कर रहे थे. विभाग की ओर से पिछले सालों में चलाए गए अभियान के दौरान विभाग ने 762 व्यापारियों से 120 करोड़ की टैक्स चारी पकड़ कर वसूली की है.

2561 डीलरों का पंजीकरण निरस्त

राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र व राज्य सरकार ने कुछ सालों तक जीएसटी चोरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उसके बाद 2020 में कोविड आ गया. जिससे दो साल तक कारोबार बुरी तरह प्रभावित रहा. लेकिन कोविड संकट खत्म होने के बाद जब कारोबार फिर से खुले तो देश भर में अभियान चलाया गया था. उसमें राज्य में 2561 डीलर ऐसे पाए गए जो रिटर्न ही दाखिल नहीं कर रहे थे. ऐसे में पिछले साल उनका जीएसटी पंजीकरण ही रद्द कर दिया गया था.

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