देहरादून, (आईएएनएस)| उत्तराखण्ड राज्य में मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं से - प्रभावी ढंग से निपटने के उद्देश्य से राज्य में मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना कर मानव वन्य जीव, संघर्ष निवारण निधि की स्थापना के प्रस्ताव को वन मंत्री ने उत्तराखण्ड सरकार के स्तर पर स्वीकृति प्रदान कर दी गयी हैं।
उत्तराखण्ड राज्य की वन एवं वन्य जीव बहुल पृष्टभूमि व मानव वन्यजीव संघर्ष से जुड़ी घटनाओं की प्रभावी रोकथाम हेतु प्राथमिक स्तर पर समग्र व्यवस्था की जायेगी। इसके तहत ऐसे संघर्ष की घटनाओं के निवारण का संकलन एवं वैज्ञानिक विश्लेषण कर घटनाओं की पृष्टभूमि, प्रमुख कारक व इनकी समीक्षा कर निवारण का प्राविधान है। प्रथम²ष्टया मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं का स्थान व समय पूर्व निर्धारित नहीं होता है एवं इसके स्थानीय कारकों यथा- जलवायु परिवर्तन, वनाग्नि इत्यादि को संकलित कर इनका वैज्ञानिक आधार पर अध्ययन करना है।
मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना से संघर्ष की किसी दशा में सरकारी नियमों के तहत देय अनुग्रह राशि के भुगतान की प्रक्रिया के नियमित अनुश्रवण व मूल्यांकन कर सम्बन्धित पक्षों के साथ इसको साझा करने में आसानी हो सकती है।
राज्य में प्रस्तावित यह प्रकोष्ठ राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं प्रमुख वन्य जीव प्रतिपालक के कार्यालय में स्थापित होगा एवं उनके सीधे नियत्रंणाधीन होगा। प्रकोष्ठ में इसके लिए विभागीय अधिकारियों के साथ मानव वन्यजीव संघर्ष के जानकार एवं शोधकतार्ओं की सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
प्रकोष्ठ के क्रियाशील होने के उपरान्त मानव वन्य-जीव संघर्ष की घटनाओं का निवारण संकलन, किसी घटना की दशा में अनुग्रह राशि के भुगतान का अनुश्रवण व पीड़क वन्य जीव को ट्रैप करना अथवा अन्तिम विकल्प के तौर पर मारने की अनुज्ञा व ऐसी घटनाओं के वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ देश- विदेश में इन से निपटने के अभिनव प्रयासों की समग्र जानकारी व समीक्षा / मूल्यांकन के कार्य आसान हो सकेंगे।
--आईएएनएस