मौत के सौदागर: जेल के अंदर से ही फिक्स कर दी 10 लाख में 3 हत्या, STF ने खेल बिगाड़ा
महिला के कत्ल की कीमत 10 लाख रुपए
जनता से रिस्ता वेबडेसक | उत्तराखंड (Uttarakhand) की जेलों में 'कॉन्ट्रैक्ट किलिंग' करवाने का खतरनाक काला-कारोबार बदस्तूर जारी है. यूं तो यहां की जेलों में बंद बदमाश रंगदारी, मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त में अक्सर ही धरे जाते रहे हैं. इस बार मगर राज्य पुलिस स्पेशल पुलिस टास्क फोर्स (Uttarakhand Police Special Task Force) ने पहले के तमाम मामलों से हटकर तीन-तीन लोगों का ठेके पर कत्ल किए जाने के षडयंत्र को नेस्तनाबूद कर डाला है. जेल में बंद गैंगस्टर्स ने बाहर मौजूद जिन तीन लोगों को पैसे लेकर कत्ल कराने की लाखों रुपए सुपारी ले रखी थी, उनमें एक महिला भी शामिल है.
इन तमाम तथ्यों की पुष्टि सोमवार शाम उत्तराखंड राज्य पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (Senior Superintendent of Police Uttarakhand Police Special Task Force) अजय सिंह ने की. एसएसपी एसटीएफ के मुताबिक भाड़े पर हत्याएं करने के लिए कुख्यात और गिरफ्तार शार्प शूटर्स का नाम नीरज पंडित (हरियाणा फरीदाबाद), सचिन (बुढ़ाना, मुजफ्फरनगर) और अंकित (गंगोह, सहारनपुर) हैं. भाड़े के तीनों गिरफ्तार हत्यारों के कब्जे से बड़ी संख्या में कारतूस और हथियार जब्त किए गए हैं. महिला की हत्या का ठेका 10 लाख रुपए में लिया-दिया गया था.
महिला के कत्ल की कीमत 10 लाख रुपए
राज्य की जिस जेल में बंद बदमाशों ने 10 लाख रुपए में महिला के कत्ल का ठेला लिया था वो फिलहाल पौड़ी जेल में बंद है. महिला और दो अन्य का कत्ल करने का ठेका लेने वाला गैंगस्टर का नाम नरेंद्र बाल्मिकी है, जो लंबे समय से खुद भी उत्तराखंड की पौढ़ी जेल में कैद है. नरेंद्र बाल्मिकी के शूटर्स ने काफी कुछ एसटीएफ की ओर से की गई पूछताछ में कबूला. शूटर्स से हासिल जानकारी के बाद एसटीएफ की टीमों ने पौड़ी जेल में भी छापा मारा, जहां एक साथ तीन-तीन 'कॉन्ट्रैक्ट किलिंग' (Contract Killing) की सुपारी लिए-दिए बैठा बदमाश नरेंद्र बाल्मिकी बंद हैं. नरेंद्र बाल्मिकी ने जुर्म कबूल लिया है. एसएसएपी एटीएफ ने आगे कहा कि नरेंद्र बाल्मिकी ने 10 लाख रुपए लेकर महिला को कत्ल करवाने का वायदा किया था.
पौड़ी जेल में है गैंगस्टर नरेंद्र बाल्मिकी
एसएसपी ने आगे कहा कि पौड़ी जेल में बंद बदमाश नरेंद्र बाल्मिकी का इरादा था कि वो तीनों शार्प शूटर्स (जिन्हें एसएटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया) से पहले महिला को कत्ल कराएगा ताकि महिला के कत्ल के लिए तय एडवांस के अलावा बाकी की बची रकम भी मिल जाए. इसके बाद इसी में से थोड़ी बहुत रकम खर्च करके वो दो अन्य लोगों को इन्हीं शूटर्स के जरिए कत्ल करवाने की योजना को अंतिम रूप दिए बैठा था. इन दोनों लोगों में एक शख्स जेल में बंद गैंगस्टर नरेंद्र बाल्मिकी का दुश्मन है जबकि दूसरा शख्स जिसे ठिकाने लगाना था वो नरेंद्र बाल्मिकी के किसी मुकदमें में गवाह है. राज्य पुलिस एसटीएफ की इस बड़े और वक्त रहते किए गए एक्शन से हाल-फिलहाल महिला सहित बाकी दोनो शख्सों की भी जान बच गई है.
षड्यंत्रों का अड्डा बनतीं राज्य की जेलें
एसटीएफ ने तीनों शार्प शूटर्स को रविवार 31 अक्टूबर 2021 को देहरादून के क्लेमनटाउन इलाके में आशारोडी चैक पोस्ट के पास से दबोचा. गिरफ्तार तीनों ही शार्प शूटर्स पहले भी जेल जा चुके हैं. इनमें से एक शार्प शूटर साल 2016 में रुड़की में दिन दहाड़े हुई कत्ल की वारदात में भी शामिल था. एसएसपी एसटीएफ के मुताबिक तीनों शार्प शूटर्स की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल टास्क फोर्स के उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी) जवाहर लाल के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई थी. ऐसा नहीं है कि राज्य पुलिस एसटीएफ की ओर से जेल में से चल रहे इस तरह के खतरनाक खूनी कारोबार का भांडाफोड़ पहली बार हुआ हो.
राज्य की जेलों में बंद अपराधियों, पुलिस और जेलकर्मियों की मिलीभगत से तैयार सिंडीकेट पर एसटीएफ इससे पहले भी नजर रख चुकी है, जिसका वक्त-वक्त पर एसटीएफ को लाभ भी मिला. साथ ही जब-जब एसटीएफ ने एक्शन लिया, तब-तब राज्य की हरिद्वार, अल्मोड़ा, रुड़की जेल इस तरह के गैरकानूनी कामों के लिए बदनाम भी हुईं. एसटीएफ के छापों के बाद हर जेल में कुछ दिन शांति रहती है. उसके बाद जेल के अंदर से इस तरह के जघन्य अपराधों को अंजाम देने के ताने-बाने फिर बुने जाने लगते हैं.
जेलों में जंगल राज्य का नमूना
हाल फिलहाल में सामने आए ऐसे तमा मामलों से साबित हो चुका है कि किसी के पास अगर अकूत दौलत है तो फिर वो उत्तराखंड राज्य की जेलों में बंद गैंगस्टर्स से कुछ भी करा सकता है. किसी इंसानी शिकार के कत्ल से लेकर, मादक पदार्थों की बड़ी से बड़ी खेप की खरीद फरोख्त तक. इसमें गैंगस्टर, पुलिस और जेल स्टाफ का खतरनाक या कहिए अभेद्य सा 'सिंडीकेट' (मिलीभगत) काम करता है. जेल चाहे हरिद्वार की हो, अल्मोड़ा या फिर पौड़ी की. जेल में बंद गैंगस्टर्स पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता. वो हर जेल में मिलीभगत करके सलाखों के भीतर से ही अपना कारोबार चलाते रहते हैं. इसी साल जनवरी महीने में हरिद्वार जेल में एसटीएफ ने छापा मारा था और तब पता चला कि वहां बंद बदमाश इंतजार उर्फ पहलवान तो जेल में ही साथ में बंद, दूसरे कैदी के घरवालों से 2 दो सोने की चैन देने की धमकी दे रहा था, वो सब भी जेल-कर्मचारियों की मिली-भगत से ही संभव हो पा रहा था.
एसटीएफ ने पिछले महीने अक्टूबर में ही अल्मोड़ा जिला जेल पर छापा मारा. उस छापे में पता चला कि कुख्यात बदमाश कलीम और उसके साथ बंद सात अन्य बदमाश जेल के अंदर से ही गैंग चला रहे थे. उसमें एक जेलकर्मी भी गिरफ्तार किया गया था, जबकि जेल प्रभारी को सस्पेंड कर दिया गया था. उस छापे में एसटीएफ को एक लाख 29 हजार रुपए नकद, बड़ी संख्या में मोबाइल और सिम कार्ड बदमाशों के कब्जे से मिले थे.