20 नवंबर को भगवान बदरी विशाल के कपाट होंगे बंद, 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया

भगवान बदरीनाथ मंदिर के कपाट (Badrinath Temple Door Closed) शनिवार शाम 6.45 बजे शीतकाल के लिए बंद होने जा रहे हैं.

Update: 2021-11-19 17:18 GMT

भगवान बदरीनाथ मंदिर के कपाट (Badrinath Temple Door Closed) शनिवार शाम 6.45 बजे शीतकाल के लिए बंद होने जा रहे हैं. परंपरा के मुताबिक कपाट बंदी की तैयारियां की जा रही हैं. कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ मंदिर को बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया है. मंदिर से लेकर सिंहद्वार को गेंदे और कमल समेत कई तरह के फूलों से सजाया (Temple decorated of flowers) गया है. मंदिर के कपाट बंद होने से पहले बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए बदरीनाथ धाम पहुंच चुके हैं. बदरी विशाल मंदिर के कपाट बंद होने से पहले आज पंच पूजाओं के तहत मां लक्ष्मी के मंदिर में हर दिन की तरह ही पूजा-पाठ किया गया. इस दौरान मां लक्ष्मी से बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह आने की प्रार्थना की गई.

बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने मां लक्ष्मी को स्त्री वेष में बुलावा भेजा.बता दें कि चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) शुरू होने से लेकर शुक्रवार तक बदरीनाथ धाम में करीब 1 लाख 91 हजार श्रद्धालु दर्शन किए. देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ के मुताबिक कपाट बंदी से पहले भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) आने का सिलसिला लगातार जारी है.
कल बंद होंगे बदरीनाथ मंदिर के कपाट
20 क्विंटल फूलों से सजाया गया बदरी विशाल मंदिर
बदरी विशाल मंदिर के कपाट बंद होने से पहले मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. 20 नवंबर को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे. इसेस पहले हर दिन मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया जारी है. कपाट बंद होने के उत्सव को धूमधाम से मनाया जाएगा. इसके लिए देवस्थामन बोर्ड तैयारियों में जुटा हुआ है. मंदिर के कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी, कुबेरजी और शंकराचार्य जी की गद्दी डोली बदरीनाथ में रात में रुककर 21 नवंबर को पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी. बता दें कि आज सुबह ढाई हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों ने बदरीनाथ धाम में दर्शन किए. कपाट बंद होने के दिन भी श्रद्धालु पूरे दिन मंदिर में दर्शन कर सकेंगे.
शाम 4 बजे बंद होंगे बदरीनाथ मंदिर के कपाट
शनिवार शाम 4 बजे बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. सुबह 6 बजे भगवान की अभिषेक और पूजा होगी.सुबह 8 बजे बदरी भगवान का भोग लगाया जाएगा. इसके बाद दोपहर में साढ़े बारह बजे दोबारा भोग लगेगा. शाम 4 बजे मां लक्ष्मी को बदरीश पंचायत में स्थापित किया जाएगा. इसके साथ ही गर्भगृह से गुरुड़जी , उद्धवजी और कुबेरजी को बदरीश पंचायत के बाहर लाया जाएगा. सभी परंपराओं को पूरा करने के बाद शाम 6.45 बजे शीतकाल के लिए बदरीधाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे.


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