kedarnath : क्या होता है जब बंद हो जाते हैं केदारनाथ धाम के कपाट, यहाँ जाने
इन दिनों केदारनाथ धाम की यात्रा जारी है। अभी तक 7 लाख के करीब श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। क्या आप जानते हैं की जब केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तो उसके बाद वहां क्या होता है और इस दौरान बाबा केदार कहां निवास करते हैं।भारत में रहने वाले हर एक शख्स की दिली तमन्ना होती है की जीवन में एक बार जरूर बाबा केदार के दर्शन करे। कपाट खुलने के बाद हर मौसम में भक्त बाबा केदार की एक झलक पाने के लिए केदारनाथ धाम आते हैं।
आपको बता दें केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद यहां केदारनाथ के पहले रावल विचरण करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे की केदारनाथ के पहले रावल आखिर हैं कौन। बता दें इन्हें भुकुंट भैरव कहा जाता है। भुकुंट भैरव शिव के प्रिय गणों में से एक हैं। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद यही सारे केदार क्षेत्र की रक्षा करते हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी की बिना भुकुंट भैरव की इजाजत के केदारनाथ धाम में कोई भी कदम नहीं रख सकता। यही वजह है की जब केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तो सबसे पहले भुकुंट भैरव की इजाजत ली जाती है।
शीतकाल के दौरान कहां विराजते हैं बाबा केदार?
शीतकाल के दौरान बाबा केदार के दर्शन उखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर में किए जाते हैं। ये बाबा केदार और मध्यमहेश्वर का शीतकालीन निवास स्थान है। यहां बाबा केदार और मध्यमहेश्वर 6 महीने पूजे जाते हैं। कहा जाता है जो भी भक्त केदारनाथ या मध्यमहेश्वर जाकर भगवान शिव के दर्शन नहीं कर पाता वो अगर शीतकाल में आकर ओमकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार और मध्यमहेश्वर के दर्शन कर ले तो उसकी चारों धामों की यात्रा पूरी हो जाती है। बताया जाता है कि इस जगह का नाम पहले उषामठ था जो समय के साथ अपभ्रंश होकर उखीमठ हो गया।
उषामठ नाम क्यों पड़ा?
अब इस धाम की उषामठ कहलाने की कहानी भी अलग है क्योंकि ये जुड़ी है भगवान शंकर के परम मित्र श्री कृष्ण से। कहा जाता है यहां वाणासुर नाम का एक राक्षस रहा करता था। जिसकी एक बेटी थी उषा। एक बार उषा को सपने में कृष्ण के पोते अनिरुद्ध दिखाई दिए जिनपर उषा मोहित हो गई जिसके बाद इसी उखीमठ पे उषा और अनिरुद्ध की शादी हुई। आज भी उखीमठ अनिरुद्ध और उषा के विवाह की यादें खुद में समाए हुए है। इसी उषा के नाम पर इस जगह को उषामठ नाम मिला था….