कूड़ा निस्तारण के उल्लंघन पर 5000 से दो करोड़ तक का जुर्माना लागू करने के निर्देश
देहरादून न्यूज़: हाईकोर्ट ने सचिव पंचायतीराज को निर्देश दिए हैं कि सभी ग्राम पंचायतों को कूड़ा निस्तारण की सुविधा उपलब्ध कराएं और उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. राज्य सरकार से कहा कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट संबंधी नियमों का उल्लंघन करने पर पांच हजार से दो करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है. उसे लागू कर रिपोर्ट पेश की जाए.
प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने कहा कि कूड़ा निस्तारण के लिए आवंटित भूमि पर जिन लोगों ने अतिक्रमण किया है, उसके लिए अलग से शपथपत्र पेश करें. कोर्ट ने यह भी कहा है कि जहां कूड़ा फैला रहता है, महीने में पांच दिन उसकी जांच की जाए. इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस, शहरी विकास व जिला प्रशासन के सदस्यों को शामिल करें. कूड़ा फैलाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाकर उसकी वसूली कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.
यह है याचिका मामले में अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जीतेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2013में प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण को नियमावली बनाई थी. 2018 में केंद्र सरकार ने भी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए. इसमें उत्पादनकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओ को जिम्मेदारी दी थी, कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक वापस ले जाएंगे. अगर नहीं ले जाते हैं, तो संबंधित नगर निगम, नगर पालिका व अन्य को इसके निस्तारण के लिए फंड देंगे. लेकिन उत्तराखंड में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हैं.
सचिव और निदेशक पेश सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास, सचिव पंचायतीराज, सचिव वन एवं पर्यावरण और निदेशक शहरी विकास कोर्ट में पेश हुए. उनकी तरफ से कहा गया कि कोर्ट के आदेशों का पालन किया जा रहा है.
आवंटित भूमि पर अतिक्रमण याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को अवगत कराया कि कुछ लोगों द्वारा कूड़ा निस्तारण के लिए आवंटित भूमि पर अतिक्रमण किया गया है. गांवों में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तिथि नियत की है.