हरादून न्यूज़: उत्तराखंड में सार्वजनिक यात्री और माल भाड़ा वाहनों का किराया अब हमेशा की तरह सिर्फ बढ़ेगा ही नहीं बल्कि समय-समय पर घटेगा भी. राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की किराया निर्धारण कमेटी ने फ्लेक्सी फार्मूला सुझाया है, जिससे डीजल, स्पेयर पार्ट, इंश्योरेंस आदि की कीमतों का उतार-चढ़ाव भी किराया निर्धारण में भूमिका निभाएगा. पेश है चंद्रशेखर बुड़ाकोटी की रिपोर्ट -
लाख से ज्यादा है उत्तराखंड में निजी और कॉमर्शियल वाहनों की कुल संख्या
● जून के पहले हफ्ते में प्रस्तावित राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक में हो सकता है फार्मूले पर मंथन
कमेटी ने फार्मूले पर बारीकी से किया मंथन:
सूत्रों के अनुसार, मेहरा कमेटी ने किराया तय करने के फार्मूला के लिए परिवहन कारोबार और परिवहन सिस्टम का बारीकी से अध्ययन किया. इस दौरान तेल मूल्य में बदलाव, इंश्योरेंस, स्पेयर पार्ट्स, वाहन के माइलेज समेत विभिन्न घटकों का अध्ययन किया गया है. हालांकि पहले तेल मूल्य को प्रमुखता दी जा रही थी. लेकिन कमेटी ने यह भी पाया कि कम एवरेज देने वाले बड़े वाहन के लिए तेल मूल्य महत्वपूर्ण हो सकता है तो बेहतर माइलेज देने वाले छोटे वाहन के लिए तेल मूल्य उतना प्रभावी नहीं होगा. उसके लिए इंश्योरेंस, स्पेयर पार्ट्स, विभिन्न शुल्क मायने रखते हैं. इसी प्रकार सभी पहलुओं को देखते हुए अनंतिम फार्मूला बनाया गया. फार्मूले में विभिन्न घटकों को प्वांइट देते हुए एक संतुलित रूप दिया गया है.
हर साल तय किया जाएगा किराया
गतवर्ष एसटीए ने किराया दरों को हर साल तय करने का निर्णय किया था. उपायुक्त राजीव मेहरा की अध्यक्षता में कमेटी बनाते हुए सर्वमान्य फार्मूला तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी. एसटीएस का मानना है कि तीन-तीन, चार-चार साल में किराया तय करना, न तो परिवहन कारोबारियों के लिए ठीक और न जनता के लिए. कई साल में किराया तय होने पर वृद्धि का अनुपात भी ज्यादा हो जाता है. ऐसे में हर साल अप्रैल में ही किराया तय कर दिया जाए.
कमेटी ने फार्मूले को दिया अंतिम रूप
सूत्रों के अनुसार, किराया निर्धारण कमेटी ने फार्मूले को
अंतिम रूप देते हुए प्रारंभिक रिपोर्ट परिवहन आयुक्त मुख्यालय
को सौंप दी है. इसके अनुसार, फ्लेक्सी मोड में तय होने वाला यह किराया हर साल अप्रैल से लागू किया जाएगा. यह व्यवस्था ठीक पेयजल विभाग की वाटर टैक्स की तरह है जो हर साल तय तारीख को लागू हो जाता है. अपर परिवहन आयुक्त एसके सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस फार्मूले पर अंतिम निर्णय एसटीए की बैठक में होगा. एसटीए की अगली बैठक जून के पहले हफ्ते में प्रस्तावित है.
नफा नुकसान:
1. हर साल किराया तय किए जाने से किराये की वृद्धि नियंत्रित रहेगी, बढ़ोतरी का प्रतिशत भी कम होगा
2. तेल मूल्य और अन्य खर्च के आधार पर किराया तय होने से इसके घटने की भी उम्मीद रहेगी
3. परिवहन कारोबारियों को भी इस फार्मूले से राहत मिलेगी, उन्हें किराया वृद्धि के लिए तीन-चार साल तक इंतजार नहीं करना होगा
1. हर साल वाहनों का किराया बढ़ने की स्थिति में यात्रियों पर बढ़ सकता है आर्थिक बोझ
2. तेल मूल्य और अन्य वस्तुओं को आधार बनाए जाने से परिवहन कारोबारियों का मुनाफा घटेगा
3. बढ़े हुए किराये के फार्मूले के आधार पर घटने के बाद नई दरें लागू कराना परिवहन विभाग के लिए चुनौती होगा दे