हाईकोर्ट ने पूर्व मुखानी थाना प्रभारी पर दुष्कर्म पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाने के दबाव को लेकर मांगी जांच रिपोर्ट
हल्द्वानी कोर्ट न्यूज़: हल्द्वानी के मुखानी थाने में तैनात पूर्व थाना प्रभारी एसआई दीपक बिष्ट के खिलाफ दुष्कर्म पीड़िता की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है। महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह एक नेता के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज कराने गयी तो तत्कालीन थाना प्रभारी दीपक बिष्ट ने आरोपी को पकड़ने की एवज में पांच लाख रूपये के अलावा एक ऐसी मांग कर दी जिससे महिला का पारा चढ़ गया। पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है। पीड़िता ने पुलिस महानिदेशक को 13 पन्नों की शिकायत लिखकर पूरी आपबीती बयान की थी। डीजीपी ने इस मामले में एक्शन के लिए एसएसपी नैनीताल को लिखा और मामला मुखानी पुलिस थाने पहुंचा। पुलिस ने अपने ही पूर्व थाना प्रभारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। कल देर रात इस मामले में केस दर्ज किया गया है।
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने इस मामले में दोपहर दो बजे तक रिपोर्ट मांगी है। यह मामला एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण साह से संबंधित है। दरअसल तरुण पर महिला नेत्री ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। तरुण ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में ढ़ीली और लचर कार्रवाई के चलते पीड़िता ने तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट से संपर्क किया। बताया जाता है कि तत्कालीन एसओ ने इसके एवज में पांच लाख की डिमांड के साथ शारिरिक संबंध बनाने का ऑफर दे डाला। पीड़िता ने मोबाइल पर बातचीत रिकार्ड करने के साथ डीजीपी तक इस बात की शिकायत कर दी। इसके बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट में इसकी जानकारी दी जिसके बाद कोर्ट ने पूरे मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी। बुधवार को एकलपीठ में सुनवाई के दौरान मामले के विवेचनाधिकारी व रामनगर सीओ बीएस भाकुनी ने अदालत को बताया कि दीपक बिष्ट के विरुद्ध मंगलवार को मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कोर्ट ने इस जवाब से असंतुष्ट होकर पूरे रिकॉर्ड तलब कराने को कहा है। अभियोजन के अनुसार 26 अप्रैल को हल्द्वानी की महिला ने एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। कहा कि उसे डराया-धमकाया जा रहा है। आरोपित उसे सोशल मीडिया में बदनाम कर रहा है। पीड़िता के अनुसार उसके पति बीमार हैं वो हर हफ्ते तीन बार डायलिसिस करा रहे हैं।
इन धाराओं में हुआ है मामला दर्ज: पूर्व थाना प्रभारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 506, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत केस दर्ज कर लिया है। धारा 354 आईपीसी- स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग , IPC Section 354 ( IPC Section 354. Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty ) यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।धारा 506 में किसी को धमकी देने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। आईपीसी की इन दोनों धाराओं में अपराध कारित होने पर दो-दो साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया जाता है।
क्या है भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धारा ७: "लोक सेवकों द्वारा रिश्वत लेने से संबंधित पीसी अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध के लिए अवैध परितोषण की मांग और उसकी स्वीकृति की आवश्यकता होती है। पीसी एक्ट की धारा 7 के तहत एक लोक सेवक द्वारा रिश्वत की मांग का प्रमाण और उसके द्वारा उसकी स्वीकृति अपराध स्थापित करने के लिए अनिवार्य है।"