नैनीताल हाईकोर्ट :नैनीताल हाईकोर्ट ने विजिलेंस जांच का सामना कर रहे उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के कुलपति को तुरंत पद से हटाने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई 15 जून को ही पूरी कर ली थी। जबकि इस पर फैसला कोर्ट ने बुधवार को दिया है।
होईकोर्ट ने आयुर्वेद विवि के कुलपति को हटाने के दिए आदेश
विजिलेंस जांच का सामना कर रहे उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ सुनील जोशी पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कुलपति डॉ सुनील जोशी को तुरंत पद से हटाने के आदेश दिए हैं।
इस मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को मुख्य न्यायाधीश और जज राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने कुलपति की नियुक्ति को गलत करार दिया है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने ये आदेश दिए हैं।
तीन साल पहले हुई थी कुलपति की नियुक्ति
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि में डॉ सुनील जोशी की कुलपति के पद पर तीन साल पहले 12 सितम्बर 2019 को नियुक्ति हुई थी। जिसको हाईकोर्ट ने गलत बताया है। हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति को नियमों के विरूद्ध मानते हुए उन्हें तुरंत पद से हटाने के आदेश दिए हैं।
डॉ. विनोद चौहान ने हाईकोर्ट में दायर की थी जनहित याचिका
इस मामले में हरिद्वार निवासी डॉ विनोद चौहान ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि डॉ. सुनील जोशी की नियुक्ति अवैध तरीके से हुई है। उन्होंने याचिका में ये भी कहा था कि डॉ. सुनील जोशी कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता नहीं रखते हैं।
बता दें कि यूजीसी के मानकों के मुताबिक कुलपति पद के लिए बतौर प्रोफेसर कम से कम 10 वर्ष का कार्यानुभव जरूरी है। लेकिन डॉ सुनील जोशी साल 2014 में प्रोफेसर बने। जिसके बाद उन्हें केवल सात साल का ही अनुभव था। जिसके बाद भी उन्हें कुलपति बना दिया गया।