नैनीताल न्यूज़: राज्य में पहली बार जल स्रोतों को जियो टैग करने की शुरुआत रामनगर वन प्रभाग से हो गई है. यहां 10 बड़े जल स्रोतों को ढूंढकर उनकी जियो टैगिंग की है. सैटेलाइट के माध्यम से इन जल स्रोतों का विभिन्न प्रकार का डेटा जुटाया गया है. ताकि इनके रखरखाव की ठोस व्यवस्था की जा सके.
रामनगर वन प्रभाग में पांच रेंज हैं. प्रत्येक रेंज में 5 कर्मियों की टीम बनाकर वहां जल स्रोतों को ढूंढने का विशेष कार्यक्रम चलाया गया. टीमों ने करीब एक माह में 10 बड़े जल स्रोतों को ढूंढकर उनकी जियो टैगिंग की है. सैटेलाइट के माध्यम से इन जल स्रोत की स्थिति यानि वह ढलान पर हैं, पहाड़ी या मैदान में है, उस जगह पर बारिश का पानी कितना पहुंचता है, आसपास की भोगौलिक स्थिति कैसी है, समेत कई प्रकार का डेटा एकत्रित किया गया है. ताकि न केवल इन जलस्रोतों को सूखने से बचाया जा सके बल्कि ऐसी परिस्थितियों का निर्माण की जा सके कि जल स्रोत और बेहतर स्थिति में पहुंच जाएं.
एक क्लिक में पता लगेगी जल स्रोतों की स्थिति
जल स्रोतों के जियो टैग होने के बाद किसी भी मौसम में एक क्लिक में इनकी वास्तविक स्थिति का पता लग सकेगा. इसके अलावा जल स्रोत को बेहतर करने के लिए भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की मदद से उसके आसपास चाल खाल, चैकडैम किस की जरूरत है इसका विशलेषण किया जा सकेगा. स्रोत के आसपास के गदेरों की जानकारी जुटाई जाएगी. ताकि इन्हें और बहेतर स्थिति में लाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा सकें.
ये होंगे फायदे:
● जल स्रोत बेहतर होने से जंगल में नमी बढ़ेगी, वनाग्नि का खतरा कम होगा
● वन्यजीवों को अपने आसपास आसानी से पानी उपलब्ध होगा
● वन्यजीवों के लिए गर्मियों में तालाब बनाकर उन्हें भरने का खर्च बचेगा
● जल स्रोतों से लगातार पानी मिलने से जंगल की बायोडायवर्सिटी मजबूत होगी
● जंगल से निकलने वाले नदियों को जलस्तर बढ़ेगा
राज्य में पहली रामनगर वन प्रभाग में 10 जल स्रोतों को जियो टैग किया गया है. इसका उद्देश्य जल स्रोतों को और बेहतर बनाना है. इससे जंगल में पानी की स्थिति और बेहतर होगी. वन्यजीवों के साथ आसपास रहने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा. - कुंदन कुमार, डीएफओ, रामनगर वन प्रभाग