राज्य गठन के बाद पहली बार राष्ट्रीय स्तर तक सक्रिय हुई STF, पढ़ें पूरी खबर

एसटीएफ पर संगठित अपराध को रोकने के अलावा तेजी से उभरते साइबर क्राइम और फैलते ड्रग तस्करी जैसे गंभीर अपराधों

Update: 2021-12-31 11:47 GMT
देहरादूनः उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2021 में पहली बार ऐसा देखा गया है कि उत्तराखंड पुलिस की सबसे महत्वपूर्ण विंग कहे जाने वाली STF (स्पेशल टास्क फोर्स) ने पिछले सालों की तुलना में अधिक सक्रिय रहकर गंभीर अपराधों पर ठोस कार्रवाई की है. 2021 में एसटीएफ इन्फोर्समेंट की वह तमाम उपलब्धियां हैं जिसके बदौलत उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में साल दर साल पैर पसारने वाले गंभीर अपराध पर ठोस कार्रवाई कर शिकंजा सका गया है.
एसटीएफ पर संगठित अपराध (Organised crime) को रोकने के अलावा तेजी से उभरते साइबर क्राइम (Cyber crime) और फैलते ड्रग तस्करी जैसे गंभीर अपराधों पर अंकुश लगाने की मुख्य जिम्मेदारी है. ऐसे में एसटीएफ द्वारा साल 2021 इन्फोर्समेंट कार्रवाई में सक्रिय होकर संगठित अपराध को समय रहते ध्वस्त करने के साथ ही मोस्ट वांटेड इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी, अवैध ड्रग तस्करी, वन्यजीव तस्करी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फर्जी कॉल सेंटर धोखाधड़ी, सेना के फर्जी दस्तावेज बनाकर विदेशों में कबुतरबाजी का पर्दाफाश सहित उत्तराखंड की जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों का जेल से चल रहा ड्रग्स नेटवर्क और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग जैसे अपराधों का खुलासा कर नकेल कसी गई.
STF की चुनौतियां.
2021 में मोस्टवांटेड अपराधियों की गिरफ्तारीः उत्तराखंड में संगठित अपराध पर अंकुश लगाने की बात की जाए तो साल 2021 में करीब 3 दर्जन से अधिक ऐसे कुख्यात मोस्ट वांटेड इनामी अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया जो तीन दशकों से फरार चल रहे थे. मोस्ट वांटेड गिरफ्तारियों में कुमाऊं के वीरप्पन के नाम से पहचान रखने वाले कुख्यात गुरदीप सिंह उर्फ दीपा उर्फ वीरप्पन की गिरफ्तारी उसके तीन साथियों के साथ एसटीएफ ने कुमाऊं के जंगलों में मुठभेड़ के बाद की. वीरप्पन के कब्जे से भारी मात्रा में असलहा-बारूद बरामद किया गया. बताया जाता है कि गुरदीप सिंह उर्फ दीपा का कुमाऊं के जंगलों से लेकर नेपाल के जंगलों तक वन तस्करी और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का कारोबार चलता था, जिसे STF द्वारा वर्ष 2021 में नेस्तनाबूद किया गया.
2021 में मोस्ट वांटेड इनामी बदमाश जो गिरफ्तार हुएः 32 साल के फरार कुख्यात अपराधी गुरदीप सिंह की गिरफ्तारी हुई, गुरदीप पर ₹5000 का इनाम था. 25 हजार का इनामी सत्येंद्र मुखिया, 20 हजार का इनामी माओवादी कमांडर भास्कर पांडे, 20 हजार का कुख्यात केडी, 10 हजार का इनामी बदमाश महेंद्र सिंह गिरफ्तार हुआ जो 12 साल से फरार चल रहा था. इसके अलावा 10 हजार का इनामी कुख्यात अपराधी जॉन मोहम्मद को गिरफ्तार किया जो 5 साल से फरार चल रहा था. वहीं, 10 हजार का इनामी अपराधी बीरबल उर्फ तोताराम गिरफ्तार हुआ जो 12 साल से संगीन मामलों में फरार चल रहा था.
मोस्ट वांटेड वन्यजीव तस्कर गिरफ्तारः 10 हजार इनाम का डकैत व वन्यजीव तस्कर सैफ गिरफ्तार हुआ. 10 हजार का इनामी डकैत व वन्यजीव तस्कर मूंगी उर्फ श्याम बाबू गिरफ्तार किया गया. 5 हजार का इनामी कुख्यात डकैत फाला गिरफ्तार हुआ. 5 हजार का इनामी डकैत दिलनशी गिरफ्तार हुआ. इसके अलावा STF से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड से मोस्ट वांटेड फरार इनामी अपराधियों पर नए साल 2022 से इनाम की धनराशी 50 हजार से 2 लाख करने की तैयारी है.
वन्यजीव तस्करी में फॉरेस्ट कर्मी भेजे गए जेलः 2021 में वन्यजीव तस्करी के आरोप में उत्तराखंड से 13 फॉरेस्ट कर्मचारीयों को भी गिरफ्तार कर एसटीएफ द्वारा सलाखों के पीछे धकेला गया. इन सभी वन कर्मियों पर आरोप है कि इनके द्वारा सक्रिय वन्यजीव तस्करों के साथ मिलीभगत कर टाइगर की खाल व हाथी के दांत जैसे अन्य वन संपदा ठिकाने लगाने में वन माफियाओं के साथ महत्वपूर्ण भूमिका रही.
2021 में नेपाल तक के ड्रग माफियाओं की गिरफ्तारीः
उत्तराखंड में स्कूली बच्चों से लेकर नौजवानों की पीढ़ी का भविष्य अंधकार में धकेलने वाले ड्रग्स तस्करों की गिरफ्तारी को लेकर साल 2021 में सबसे अधिक धरपकड़ की गई. जहां साल 2019 में 1503 ड्रग तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. वहीं, 2020 में 1434 तस्करों को सलाखों के पीछे धकेला गया. जबकि 2021 नवंबर महीने तक 1721 ड्रग तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. इस गिरफ्तारी में 11 नेपाल के नशा तस्करों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.
NDPS एक्ट के तहत माफियाओं की संपत्ति फ्रिजः साल 2000 में राज्य गठन के बाद पहली बार 2021 में नशा तस्करी और अवैध ड्रग्स के अपराधियों पर फाइनेंशियल स्ट्राइक करते हुए उनकी संपत्ति को जब्त कर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई. इसका पहला उदाहरण इसी साल यूपी के बरेली शाहजहांपुर निवासी बड़े ड्रग्स माफिया मोहम्मद रिजवी पर देखने को मिला. रिजवी उत्तराखंड में नशा तस्करी में अधिक सक्रिय रहा, एसटीएफ ने उसके गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार कर रिजवी की करोड़ों की चल-अचल संपत्ति को एनडीपीएस धारा के तहत फ्रिज किया गया. पहली बार की गई इस कार्रवाई का सबसे बड़ा मकसद और संदेश अवैध ड्रग्स माफियाओं को आर्थिक रूप से कमजोर व उनकी कमर तोड़ने जैसा रहा है.
2022 से नशा तस्करों पर राष्ट्रीय स्तर की कार्रवाईः उत्तराखंड में स्कूली बच्चों से लेकर बड़े शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले युवाओं को नशे की ओर धकेलने वाले ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ अब एसटीएफ साल 2022 से PIT NDPS ACT के तहत राष्ट्रीय स्तर की बड़ी प्रभावी कार्रवाई करेगा. नशा तस्करी और बार-बार पकड़े जाने वाले अपराधियों पर अब NSA (National Security Agency) जैसे गैर जमानती धाराओं की तर्ज पर PIT NDPS एक्ट में हिस्ट्रीशीटर बनाकर जेल से बाहर न आने देने की तैयारी है. इस प्रभावी कार्रवाई के लिए STF की अपील में बकायदा उत्तराखंड सरकार से शासनादेश भी जारी करवाया गया है.
फर्जी कॉल सेंटर और सेना का फर्जी दस्तावेज गिरोहः साल 2021 में उत्तराखंड STF द्वारा ऐसे 6 अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया जो अमेरिका, यूरोप निवासियों को कंप्यूटर से जुड़ी सर्विस देने के नाम परडिजिटल ट्रांजेक्शन से लाखों-करोड़ों ठगते थे. वहीं, दूसरी ओर STF ने पहली बार बड़े पैमाने में आर्मी इंटेलिजेंस के साथ मिलकर उत्तराखंड सहित अन्य राज्य निवासियों के फर्जी भारतीय सेना के एक्स सर्विसमैन वाले डिस्चार्ज बुक जैसे फर्जी दस्तावेज तैयार कर अफगानिस्तान, इराक, ईरान व दुबई जैसे देशों में कबूतर बाजी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया.वहीं, जालसाजी के कर्ता-धर्ता पूर्व सैनिक जैसे कई लोगों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया. इतना ही नहीं, सैकड़ों की तादात में एक्स आर्मी फर्जी डॉक्यूमेंट व डिस्चार्ज बुक भी गिरोह के कब्जे से बरामद किए गए. एसटीएफ की कार्रवाई का नतीजा यह रहा कि फर्जी भारतीय सेना के दस्तावेज तैयार कर विदेशों में जो छवि देश की खराब हो रही थी, उसको रोकने में मदद मिली. एसटीएफ ने इस बड़े गोरखधंधे की पूरी रिपोर्ट भारत सरकार गृह मंत्रालय आर्मी इंटेलिजेंस जैसे सुरक्षा तंत्र को देने के साथ ही अफगानिस्तान, इराक, दुबई जैसे देशों की और कंपनियों को भी इस फर्जीवाड़े से अवगत कराया.
उत्तराखंड जेलों में रेड से ड्रग्स नेटवर्क का भंडाफोड़ः उत्तराखंड गठन के 21 साल में पहली बार ऐसा देखा गया जब राज्य के लिए नासूर बन चुके अवैध ड्रग्स नशा तस्करी पर प्रभावी कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने राज्य की तीन अलग-अलग जिलों में 6 बार छापेमारी कार्रवाई की. इस दौरान हरिद्वार, अल्मोड़ा और पौड़ी जेल से बड़े पैमाने में ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग जैसे अन्य गंभीर अपराधों के संचालन का खुलासा कर जेल प्रशासन सहित जेल में बंद कुख्यात अपराधियों के नेटवर्क से जुड़े बदमाशों पर नकेल कसी गई. इतना ही नहीं उत्तराखंड की जेलों से भारी मात्रा में मादक पदार्थ, लाखों की नकदी, मोबाइल, सिम, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे उपरण भी STF ने भारी मात्रा में बरामद किए गए.
उत्तराखंड की जेलों में हाई रिस्क सेलः उत्तराखंड की जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों के जेल से ड्रग्स नेटवर्क और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग जैसे गंभीर अपराधों के संचालन का पर्दाफाश STF द्वारा करने का नतीजा यह रहा कि अब दिल्ली तिहाड़ जेल की तर्ज पर देहरादून की सुद्दोवाला जेल में 50 स्पेशल हाई रिस्क सेल बनाने की कवायद शुरू की जा रही है. ताकि राज्य की जेलों में बंद बड़े कुख्यात अपराधियों को हाई रिस्क सेल में शिफ्ट कर 24 घंटे में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए समर्पित सुरक्षा कर्मियों की जिम्मेदारी में रखा जा सके.
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