राष्ट्रमंडल खेलों में उत्तराखंड के पांच खिलाड़ी लेंगे हिस्सा, जानिए पूरी खबर

Update: 2022-07-28 11:36 GMT

देवभूमि हल्द्वानी: बर्मिंघम ब्रिटेन में राष्ट्रमंडल खेलों का आगाज 28 जुलाई से हो रहा है। उत्तराखंड से पांच खिलाड़ी इस बार राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिभाग कर रहे हैं। हॉकी में वंदना कटारिया, बैडमिंटन में लक्ष्य सेन, क्रिकेट में स्नेहा राणा, एथलेटिक्स में नितेंद्र सिंह रावत और तैराकी में कुशाग्र रावत प्रतिभाग कर रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के इन पांच खिलाड़ियों से देशवासियों को काफी उम्मीदें हैं। आइये आपको बताते हैं इन पांच होनहार खिलाड़ियों के बारे में:

वंदना कटारिया: धर्मनगरी हरिद्वार निवासी भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने 31 जुलाई 2021 को टोक्यो में इतिहास रचा था। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में हैट्रिक लगाकर रिकॉर्ड कायम किया था। वंदना ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में हॉकी में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं।

स्नेहा राणा: देहरादून के पास सिनोला गांव निवासी स्नेहा बचपन से ही क्रिकेट के प्रति गजब का जुनून था। किसान परिवार में जन्मी स्नेहा भारतीय महिला क्रिकेट टीम में ऑल राउंडर हैं। वह बल्लेबाजी के साथ ऑफ ब्रेक स्पिन गेंदबाजी में माहिर भी हैं। स्नेहा पंजाब की अंडर-19 टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं।

नितेंद्र सिंह रावत: बागेश्वर जिले के अणां गांव निवासी ओलंपियन नितेंद्र सिंह रावत 2016 में ब्राजील में आयोजित रियो ओलंपिक में हिस्सा ले चुके हैं। मुंबई मैराथन में वह तीन गोल्ड जीत चुके हैं। नीतेन्द्र ने मार्च में एजिस फ़ेडरल लाइफ इंश्योरेंस नयी दिल्ली मैराथन जीतकर राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों के लिए भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के तय मानकों को भी हासिल किया था। वह दोहा विश्व चैंपियनशिप में भी देश का नाम रोशन कर चुके हैं।

लक्ष्य सेन: देश के लिए थॉमस कप लाने वालों में अहम भूमिका निभाने वाले भारत के शानदार शटलर अल्मोड़ा निवासी लक्ष्य सेन बैडमिंटन के शीर्ष के खिलाड़ियों में शामिल हैं। उन्होंने भारत के लिए कई पदक जीते हैं। लक्ष्य सेन के भाई चिराग सेन भी शटलर के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई खिलाने का श्रेय भी लक्ष्य सेन को हासिल है।

कुशाग्र रावत: चमोली जिले के कफलोड़ी गांव निवासी कुशाग्र रावत बेहतरीन तैराक हैं। बचपन में दमा के मरीज रहे कुशाग्र के फेफड़े मजबूत करने के लिए पिता हुकुम सिंह ने इन्हें स्वीमिंग सिखाने का फैसला लिया था, जो बाद में जुनून में बदल गया। कुशाग्र से पदक की उम्मीदें हैं।



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