किसान फिर से आंदोलन करेंगे शुरू, मांगों पर सरकार को 31 जनवरी तक का अल्टीमेटम
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए फिर से आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए फिर से आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। इस कड़ी में 31 जनवरी को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में जिला व तहसील स्तर पर फिर से धरने दिए जाएंगे। इसके बाद भी सरकार ने सुनवाई नहीं की तो 1 फरवरी को मिशन यूपी और उत्तराखंड शुरू करने का बड़ा निर्णय लिया जाएगा।
मोर्चा ने आरोप लगाया कि सरकार ने वादे के अनुसार काम नहीं किया। आंदोलन स्थगित किए जाने के एक माह बाद भी उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है। इसमें एमएसपी से लेकर मुकदमे वापसी तक की मांगें शामिल हैं। साथ ही कहा कि चुनाव लड़ने वाले संगठन या सदस्य फिलहाल मोर्चा के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इस बारे में 4 माह बाद समीक्षा की जाएगी, जिसके आधार पर आगामी निर्णय लिया जाएगा।
आंदोलन स्थगित किए जाने के एक माह बाद शनिवार को कुंडली बॉर्डर पर आयोजित बैठक में एसकेएम सदस्य एक बार फिर एक्शन मोड में नजर आए। एसकेएम के कार्यालय में मोर्चा के प्रमुख डॉ. दर्शनपाल की अगुवाई में लगभग सभी जत्थेबंदियों और संगठनों के सदस्यों ने बैठक की। बैठक में युद्धवीर सिंह, जगजीत दल्लेवाल, योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार कक्का समेत मोर्चा के अन्य नेता मौजूद रहे। बाद में भाकियू नेता राकेश टिकैत भी कुंडली बॉर्डर पहुंचे और पत्रकारवार्ता में शामिल हुए।
शनिवार शाम को पत्रकारवार्ता में मोर्चा नेताओं ने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने के लिए सरकार ने कमेटी गठित करने की बात कही थी, जिसमें मोर्चा के सदस्यों को भी शामिल किया जाना था, मगर इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जहां तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का सवाल है तो इस दिशा में भी अभी तक सरकार केवल प्रक्रिया की ही बात कह रही है।
सभी मांगें अभी लंबित हैं, जिनको लेकर सरकार की कार्रवाई बेहद सुस्त है। सरकार को नींद से जगाने के लिए मोर्चा को फिर से आंदोलन की राह पर आना पड़ेगा। इस कड़ी की शुरुआत में 31 जनवरी को जिला और तहसील स्तर पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। फिर भी यदि सरकार नहीं जागी तो 1 फरवरी को मोर्चा की बैठक बुलाकर अहम निर्णय लिया जाएगा। 1 फरवरी से ही मिशन यूपी भी शुरू किया जाएगा, जिसमें सरकार की पोल खोलने के लिए मोर्चा अभियान चलाएगा।
चुनाव लड़ने वाले संगठनों पर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा राजनीति से दूर है। हमारे साथियों का निणर्य जल्दबाजी का है। वो संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के साथ नहीं रहेंगे। चार माह बाद हम इन संगठनों की समीक्षा करेंगे तब तक वो हमारा हिस्सा नहीं रहेंगे।
21 जनवरी को राकेश टिकैत जाएंगे लखीमपुर खीरी
लखीमपुर खीरी केस के बारे में युद्धवीर सिं ने कहा कि सरकार ने मंत्री को बर्खास्त नहीं किया है। किसानों की मांग रही है कि मंत्री को बर्खास्त किया जाए। सरकार का मंत्री पर एक्शन ना लेना दिखाता है कि सरकार वोट बैंक के चक्कर में उसे बचा रही है। इसके अलावा हमारे साथियों को पर 302 लगाकर जेलों में डाला गया है, जबकि वह हादसे के बाद को रिएक्शन था। इसको लेकर तय किया है कि राकेश टिकैत 21 तारीख से तीन दिन का लखीमपुर खीरी दौरा करेंगे व पीड़ितों और अधिकारियों से बातचीत करेंगे। उसके बाद सुनवाई नहीं होती है तो लखीमपुर खीरी में पक्का मोर्चा लगाया जाएगा।
न एमएसपी पर बात आगे बढ़ी, न मुकदमे वापसी की कार्यवाही हुई
एसकेएम समन्वय समिति के सदस्य युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार ने अभी तक न तो एमएसपी पर बात आगे बढ़ाई है और न ही हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों पर दर्ज मुकदमों के मामले में कोई निर्णय लिया है। लखीमपुर खीरी में एसआईटी की रिपोर्ट के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से किसान निराश हैं। लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त किया जाना चाहिए। इस मामले में जेलों में भेजे गए निर्दोष किसानों को न्याय मिलना चाहिए। यदि सरकार 31 जनवरी तक भी इसी तरह का रवैया दिखाएगी तो एक फरवरी से मिशन यूपी व उत्तराखंड शुरू किया जाएगा, जिसकी रूपरेखा राकेश टिकैत के नेतृत्व में तैयार की जाएगी। जरूरत पड़ने पर लखीमपुर खीरी में किसानों का पक्का मोर्चा लगाया जाएगा। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब चुनाव में सीधे तौर पर किसान मोर्चा किसी का समर्थन या विरोध नहीं करेगा।
मन किया तो कई मोर्चा से छुट्टी लेकर चुनाव लड़ने गए : टिकैत
मोर्चा से जुड़े कई संगठनों व सदस्यों द्वारा पंजाब में चुनाव लड़ने के बारे में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले सदस्य या संगठनों को फिलहाल निलंबित नहीं किया गया है। जिनका चुनाव लड़ने का मन किया वह एक तरह से मोर्चा से छुट्टी लेकर चुनाव लड़ने गए हैं। इस बारे में फैसला 4 महीने बाद बैठक कर लिया जाएगा।
मेधा पाटेकर ने कहा, यह मोर्चा है, संगठन नहीं
सत्याग्रही मेधा पाटेकर ने सदस्यों के चुनाव लड़ने पर कहा कि यह मोर्चा है न कि संगठन। 500 से ज्यादा संगठन इस मोर्चा में शामिल हैं तो कोई संगठन चुनाव भी लड़ सकता है। लेकिन यह तय है कि मोर्चा के बैनर तले कोई चुनाव नहीं लड़ सकता। जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं, वह मोर्चा के साथ नहीं रहेंगे। लेकिन चुनाव लड़ने से हम किसी को नहीं रोक सकते।
एक-दूसरे पर लगाए फोन रिसीव न करने के आरोप
मोर्चा की बैठक में कुछ सदस्य मोर्चा नेताओं के रवैये से नाराज भी दिखे। इस दौरान कई सदस्यों ने आरोप लगाए कि मोर्चा के कुछ नेताओं ने पूरे एक माह के दौरान फोन ही रिसीव नहीं किया। इससे पता चलता है कि वह किसानों की मांगों के प्रति कितने गंभीर हैं। किसान नेताओं को अपना रवैया बदलना होगा।
एमएसपी सत्याग्रहियों ने मोर्चा का किया बहिष्कार
कुंडली में किसान मोर्चा की बैठक का कुछ किसानों ने बेड़ियां पहनकर बहिष्कार किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें एमएसपी पर कमेटी नहीं बल्कि कानून चाहिए। बैठक में शामिल होने जा रहे किसान नेताओं को काले झंडे भी दिखाए। किसान नेता प्रदीप धनखड़ ने कहा कि मोर्चा ने एमएसपी पर कानून बनाने की मांग की थी, लेकिन कानून बनवाए बिना ही आंदोलन वापस ले लिया गया। पत्र भेजकर भी मोर्चा नेताओं से जवाब मांगा गया था, वह जवाब नहीं दे पाए। नतजीन प्रदर्शनकारी किसानों ने किसान नेताओं का बहिष्कार किया। इस दौरान राजेंद्र सिंह, जयवीर सिंह रोहतक, राजेंद्र सांगवान, माही मालीराम, अमरजीत, कुलदीप, सतनाम सिंह, संदीप शास्त्री, सुमित छिकारा, मुख्तयार खान आदि ने मोर्चे के नेताओं मार्ग में जमीन पर लेटकर भी प्रदर्शन किया।
राष्ट्रव्यापी हड़ताल का करेंगे समर्थन
एसकेएम नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि मोर्चा 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और देश में निजीकरण के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा देशभर में ग्रामीण हड़ताल आयोजित कर इस हड़ताल का समर्थन और सहयोग करेगा।