काशीपुर: पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष 14 कोयले की रैक कम पहुंचने से रेलवे को करीब तीन करोड़ की चपत लग गई है। रेलवे कंपनी में टीम भेजकर कोयला मंगाने का प्रयास कर रहा है। वहीं, कंपनी सरकार की ओर से लोडिंग नहीं होने के कारण रैक काफी समय से पेंडिंग चलने की बात कर रही है। दरअसल, रेलवे धनबाद झारखंड और बिलासपुर छत्तीसगढ़ से कोयला जरूरत के हिसाब से कंपनियों को मुहैया कराता है। इससे रेलवे को भारी भरकम राजस्व प्राप्त होता है। रेलवे के मुताबिक अप्रैल 2021 से दिसंबर तक 55 कोयले की रैक काशीपुर पहुंची। इससे रेलवे को करीब 44 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसके बाद दिसंबर 2022 तक 41 कोयले की रैक ही पहुंच सकी। इससे करीब 41 करोड़ का राजस्व अर्जित हो सका।
कोयले की खपत सबसे अधिक बाजपुर रोड स्थित आईजीएल उद्योग में सबसे अधिक होने की बात कही गई है। इस साल किन्हीं कारणों के चलते रेलवे से कोयला कम मंगाया गया। जिसके चलते रेलवे को करीब 3 करोड़ रुपये का राजस्व क्षति पहुंची है। उधर, आईजीएल के मुताबिक सरकार के पास कुछ समय से कोयले का अभाव होने के कारण काफी रैक पेंडिंग चल रही है। साथ ही करीब डेढ़ साल से दाम भी बढ़ने से लोडिंग कार्य प्रभावित होने की बात कही है।
आईजीएल सरकार से आवश्यकतानुसार कोयले की डिमांड करता है। वहां से रेलवे के माध्यम से रैक में लादकर कोयला काशीपुर पहुंचाया जाता है। इससे रेलवे की आय में काफी हद तक इजाफा होता है।
कंपनी में कोयले का प्रयोग करना मजबूरी
सूत्रों के अनुसार चयनित कंपनियां सरकारी कोयला सस्ते दामों पर आईजीएल को मुहैया कराता है। पहले कंपनी को सरकारी कोयला अधिक मात्रा में अलॉट होता था, लेकिन कोरोना के बाद से सरकारी कोयला बहुत कम मिल रहा है। जिसके चलते कंपनी को कोयले की आपूर्ति कम हो गई है। बताया जाता है कि कंपनी कोयले के स्थान पर भूसी का प्रयोग करती है, लेकिन भूसी से प्रदूषण अधिक होता है। इससे पीसीसी भी कंपनी पर जुर्माना लगा सकती है। कोयला कम प्रदूषण फैलाता है। जिसके चलते कंपनी को कोयला के प्रयोग करना मजबूरी बन जाती है।
आईजीएल में धनबाद से कोयला नहीं आता है। यहां के कोयले का प्रयोग पावर प्लांट में नहीं होता है। इसका बीएम लो होता है। पिछले साल की अपेक्षा कोयला कम आया है, क्योंकि सरकार अलॉटमेंट नहीं दे रही है। रेलवे का काम है रैक देना और सरकार का काम है लोड करना। सरकार के पास काफी रैक पेंडिंग पड़ी हुई है। सरकार के पास मटेरियल नहीं है। करीब डेढ़ साल से इनपुट कॉस्ट दोगुना हो चुकी है। लोडिंग कार्य भी सही से नहीं हो पा रहा है। इसमें मुख्य रोल केंद्र सरकार का है। हमारे यहां भूसी, पराली का प्रयोग सीजन के तौर पर किया जाता है। प्लांट निरंतर चलाने के लिए कोयला की आवश्यकता रहती है।
- मधूप मिश्रा, प्रमुख, वित्त एवं प्रशासन, आईजीएल काशीपुर