ऋषिकेश न्यूज़: एसपीएस सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों और मेडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) की सांठगांठ मरीजों की जेब पर भारी पड़ रही है। अस्पताल खुलते ही एमआर ओपीडी कक्ष में डॉक्टरों से बातचीत करते हैं। इससे मरीजों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. मरीजों को डॉक्टर से परामर्श के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. परामर्श के बाद डॉक्टर ओपीडी के पर्चे पर निजी कंपनियों की दवाएं लिखते हैं।
नियमानुसार सरकारी अस्पताल के ओपीडी डॉक्टरों के कक्ष में दोपहर एक बजे से पहले एमआर का प्रवेश प्रतिबंधित है। सरकार के निर्देश के मुताबिक डॉक्टर अस्पताल से बाहर की दवा भी नहीं लिख सकते हैं. लेकिन एमआर सुबह आठ बजे अस्पताल खुलते ही पहुंच जाते हैं. ओपीडी में दोपहर दो बजे तक डॉक्टरों के कक्ष में डेरा जमाए रहते हैं। इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. ओपीडी के बाहर मरीजों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है.
किसी तरह इंतजार के बाद डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद मरीजों की पर्ची पर बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। इसकी जानकारी मरीजों को तब होती है जब वे दवा लेने अस्पताल के मेडिसिन सेंटर पहुंचते हैं. मजबूरी में मरीजों को मेडिकल स्टोरों से निजी कंपनियों की महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
गुमानीवाला से आए मरीज विनोद ने बताया कि वह हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में गए थे। डॉक्टर ने सभी दवाएं निजी कंपनी की लिखीं। मजबूरन उसे मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ी। उनकी तरह ज्यादातर मरीजों के पर्चे पर निजी कंपनियों की दवाएं लिखी होती हैं।
अस्पताल का कोई भी डॉक्टर बाहर से दवा नहीं लिख सकता। एमआर की डॉक्टरों से मुलाकात का समय भी तय कर दिया गया है. यदि इसका उल्लंघन हो रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. पीके चंदोला, सीएमएस