एनसीआर नॉएडा न्यूज़: प्रदेश में केवल चार नशा मुक्ति केंद्र ही ऐसे हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने चलाने की इजाजत दी है। इसमें एक हल्द्वानी, एक हरिद्वार और दो पिथौरागढ़ में संचालित हैं। इन नशा मुक्ति केंद्रों में क्या हो रहा है, इसकी जवाबदेही तो है, लेकिन गली-गली कुकुरमुत्तों की तरह खुल गए नशा मुक्ति केंद्र पर किसी का नियंत्रण नहीं है। यही वजह कि आए दिन प्रदेश के नशा मुक्ति केंद्रों से कभी सामूहिक दुष्कर्म तो कभी संदिग्ध मौतों के खबर सामने आती है। नशा मुक्ति केंद्र खोलने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय से मान्यता जरूरी है। साथ ही राज्य के समाज कल्याण विभाग में अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। अब हल्द्वानी की ही बात करें तो यहां सिर्फ केंद्र इसमें खरा उतरता है, जबकि मौजूदा वक्त में आधा दर्जन से ज्यादा नशा मुक्ति केंद्र यहां संचालित हैं। कुछ ने तो बिना नाम पते के घर में कारोबार खोल लिया है। जबकि प्रदेश में ऐसे कितने नशा मुक्ति केंद्र इसकी गणना आज तक नहीं हुई। ऐसे नशा मुक्ति केंद्र नशे से जकड़े युवाओं के परिवार की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। ऐसे परिवार से नशा मुक्ति केंद्र 30 से 40 हजार रुपए आसानी से ऐंठ लेते हैं। अब राज्य सरकार ऐसे नशा मुक्ति केंद्रों की नाक में नकेल डालने जा रही है। राज्य सरकार नशा मुक्ति केंद्र का एक अलग सचिवालय खोलने की तैयारी में है और जल्द ही यह अस्तित्व में दिखाई देगा। डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि नशा मुक्ति केंद्रों पर सरकार गंभीर है और जल्द ही इसको लेकर नई गाइडलाइन सामने आएगी। इसको लेकर एक अलग सचिवालय की व्यवस्था भी की जा रही है।
मेडिकल स्टाफ के बिना नहीं चल सकता केंद्र: नशा मुक्ति केंद्र बिना मेडिकल स्टाफ के संचालित नहीं किया जा सकता। इसके लिए केंद्र में डॉक्टर के साथ नर्स और ट्रेंड स्टाफ का होना जरूरी है। हालांकि अधिकांश नशा मुक्ति केंद्रों में इसके उलट काम होते हैं। कइयों तो मरीजों का नशा छुड़ाने के लिए उन्हें यातनाएं तक दी जाती है। ऐसा तब किया जाता है, जब भर्ती मरीज नशे के लिए तड़पता और उग्र हो जाता है।
नशा मुक्ति केंद्र में मिलीं शक्तिवर्धक और गर्भ निरोधक दवाइयां: हल्द्वानी। ऊधमसिंहनगर जिले के सितारगंज में नकुलिया मार्ग पर स्थित चिंतीमजरा में संचालित नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र पर राजस्व, औषधि और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से इसी वर्ष मई में छापेमारी की थी। इस दौरान नशा मुक्ति केंद्र में गर्भ निरोधक, शक्तिवर्धक और नशीली दवाइयां मिली थी। तब प्रशासन ने नशा मुक्ति केंद्र सील कर दिया था। जबकि सितारगंज के ही एक नशा मुक्ति केंद्र में बीती 15 मई को खटीमा चकरपुर के सूरज कापड़ी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। ऋषिकेश में सामूहिक दुष्कर्म की बात सामने आ चुकी है। जबकि देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी समेत कई नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों की मौतों ने तमाम सवाल खड़े किए।
प्रदेश में खुलेंगे दो नए नशा मुक्ति केंद्र: हल्द्वानी। इसी वर्ष जुलाई में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में नार्को समन्वय की बैठक हुई थी और बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में दो सरकारी नशामुक्ति केंद्र खोलने की बात कही थी। कहा था कि प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्रों के लिए सख्त गाइडलाइन बनाएं और एंटी ड्रग्स टास्क फोर्स को सक्रिय करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2025 तक ड्रग्स फ्री देवभूमि के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे और इसे मिशन मोड पर लेने को कहा था। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को ड्रग्स फ्री देवभूमि अभियान की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए थे और जिला स्तर पर ये जिम्मेदारी डीएम को सौंपी गई थी।