देवभूमि उत्तराखंड: चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में किसने खोले दारू के अड्डे, सरकार से एक्शन की मांग
देवभूमि न्यूज़: पंचकेदारों में चतुर्थ केदार Rudranath Dham track पर शराब के अड्डे खुल गए हैं। ये फेसबुक पोस्ट रुद्रनाथ धाम के पुजारी और फोटोग्राफर बाबा के नाम से विख्यात हरीश भट्ट जी की फेसबुक वॉल से ली गई है। मुद्दा बेहद संवेदनशील है, इसलिए हमने सोचा कि सरकार तक इस खबर को पहुंचाना इस वक्त की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
। ॐ श्री रुद्रेशो विजयतेत्राम।। कहां से शुरू करूं समझ नही आ रहा है, किसको बोलूं किसको नहीं, क्या इस ही समय को देखने के लिए मेरे परदादा, दादा, पिताजी ने उन विकट स्थिति परिस्थितियों में श्री रुद्रनाथ जी की सेवा की होगी, जहां उस समय हफ्ते महीने में दो चार पांच दस यात्रियों के ही दर्शन हुआ करते थे और हर यात्री के लिए अपने तन मन और धन से भी सेवा किया करते थे। आज भी हमारे पूर्वजों ने हमें ये ही शिक्षा और ज्ञान दिया है कि भगवान श्री रुद्रनाथ जी सेवा पूजा के साथ हमारा कर्म है कि हर आए हुए यात्री की सेवा करना। किसी को भी अपनी तरफ से कोई कष्ट न हो क्योंकि इतनी विकट स्थिति में रुद्रनाथ जैसी दे भूमि में केवल वो ही आ सकते हैं, जिन्हें देवकृपा हो। हमारे लिए हर व्यक्ति/ यात्री देवतुल्य ही है। आगे भी जो व्यक्ति / यात्री यहां आस्था श्रद्धा के भाव के साथ इस पवित्र बाइस हजार ऋषियों की तपस्थली में इसकी मान मर्यादाओं परंपराओं के साथ आएगा, उसका हम उसी देवतुल्य अतिथि की तरह मान और सम्मान करेंगे। आज जहां हम पर्यावरण को बचाने की बात करते हैं, वहीं श्री रुद्रनाथ जी की भूमि में हमारे पूर्वजों ने सनातन धर्म की परंपराओं को जोड़ कर इस तीर्थ में जाने आने खाने चलने, यहां तक कि क्या वस्त्र पहनकर जाने के लिए इस पवित्र क्षेत्र के लिए परम्परा व नियम बनाएं हैं। साथ ही साथ पूजा के साथ कब कब कैसे कैसे इस पवित्र क्षेत्र में पुष्प तोड़ने व यहां जड़ी बूटी मिट्टी का प्रयोग होने की भी परंपरा को धर्म और अध्यात्म से जोड़ कर नियम बनाएं गए हैं। इसीलिए आज भी हमारे चौंसठ गावों के साथ आस पास के गांवों में अपनी पूजा पाठ के प्रयोग की लिए रुद्रनाथ की मिट्टी को सबसे पवित्र माना गया है।
मेरा एक रुद्रनाथ के पुजारी की हैसियत से सोशल मीडिया की वजह से आज रुद्रनाथ में यात्रियों को बढ़ती संख्या को देख कर सरकार / प्रशासन से विनम्र निवेदन हे कि रुद्रनाथ के लिए एक विशेष यात्रा रूट तैयार किया जाए। जिससे रुद्रनाथ जाने वाले यात्रियों को सरकार द्वारा पंजीकरण करवा कर गाइड के साथ ही यात्रा की अनुमति दी जाएं। रुद्रनाथ के लिए अलग अलग गांवों से सगर, गंगोल गांव, ग्वाड, मंडल, सिरोली, कुजाऊं से यात्रा करवाई जाए। जिससे अन्य गांव के लोग भी तीर्थाटन पर्यटन के रोजगार से जुड़े। रुद्रनाथ में पानी व वहां की व्यवस्थाओं को देख कर तीस से पचास लोगों को रुकने की ही अनुमति दिए जाने के साथ ल्वीटी बुग्याल, हंस बुग्याल, तोली ताल से ऊपर सेंचुरी के नियम कानून एवम उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों को ध्यान में रख कर किसी भी व्यवसायिक होटल ढाबे की अनुमति न दी जाए। अब समय परिस्थितियों ने बिना दूर दृष्टि व उद्देश्यहीन हमारी सरकारों व अपने ही लोगों ने अपने निजी स्वार्थ को साधते हुए रुपयों की इस भूख ने इस देवभूमि को गोवा की संस्कृति वाला पर्यटक क्षेत्र बनाकर देवभूमि के मठ मंदिरों की मान मर्यादाओं परंपराओं के साथ हमारी मां बहनों की इज्जत आबरू के लिए भी एक प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया हे।
आज देवभूमि के द्वार हरिद्वार ऋषिकेश में ही हमारी पूजनीय गंगा मां के तट को ही "गोवा बीच" नाम देकर चड्डी बनियान वाले पर्यटकों के लिए शराब व अय्याशी का अड्डा बनाने के लिए हम और हमारी सरकार ही जिम्मेदार है। इस तरह हम धर्म, योग, आध्यात्म और सनातन की नगरी को आने वाले समय में सिर्फ "गोवा बीच" के नाम से जान पाएंगे। जहां लोग गंगा किनारे शांति की खोज के साथ योग ध्यान और ज्ञान को भी प्राप्त करने आते थे, जहां विश्व विख्यात महर्षी महेश योगी ने दुनियां को योग आध्यात्म ज्ञान की भूमि ऋषिकेश को योग नगरी के रूप में ही पहचान दिलवाई थी। पर हम आज अपनी दूर दृष्टि उद्देश्य हीन नीतियों के कारण अपनी पहचान को भी खोते जा रहे हैं। ऐसा ही नजारा आप और हम अब अपने तीर्थ मठ मंदिरों पर भी देखते नजर आ रहे हैं। इस देव तीर्थभूमि को सर्दियों में भी गोवा संस्कृति वाले पर्यटन को निमंत्रण दे कर इनकी मान मर्यादाओं के साथ हम रुपए पैसे के स्वार्थ को अपनी पहचान भी खोते जा रहे हैं।
आज जो मुझे मारपीट के साथ जो जान की धमकियां मिल रही हैं, उसकी वजह भी कुछ इस ही तरह की सोच वाले पर्यटकों के लिए रुद्रनाथ क्षेत्र में शराब के अड्डे चलाने वाले दुकानदार, रुद्रनाथ की मान मर्यादाओं परम्परा को ताक में रख कर एक मात्र जल स्रोत नारद कुंड में जो कि भगवान रुद्रनाथ के अभिषेक के जल के साथ सभी के पीने योग्य पानी भी है। उस कुंड में ही शौच करने वाली सोच वाले पर्यटकों को बढ़ावा देने की पैरवी करने के साथ इस रुद्र भूमि को भी दूषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन हे कि मेरी इस पोस्ट को देवभूमि उत्तराखण्ड को धरती का स्वर्ग बनाने में सहयोग कर, अपने अपने स्तर से साझा कर आने वाले पर्यटकों के लिए एक संदेश दे सकें!