ऋषिकेश न्यूज़: ऋषिकेश में टिहरी विस्थापितों को आवंटित जमीनों पर नियम विरुद्ध हो रहे अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार से इस प्रकरण में जवाब मांगा है.
मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) से पूर्व के आदेश का पालन करने, निर्माण कर रही हाउसिंग सोसायटी को पक्षकार बनाने और विपक्षियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.
अब मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की है. पूर्व में हाईकोर्ट ने एमडीडीए से कहा था कि अवैध निर्माणों को चिह्नित कर शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. जिस पर एमडीडीए ने चिह्नित अवैध निर्माण पर अपना शपथ पत्र पेश किया.
मामले के अनुसार, ऋषिकेश जन कल्याण समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा है कि ऋषिकेश के पशुलोक और आमबाग क्षेत्र में टिहरी विस्थापितों को टीएचडीसी ने भूमि आवंटित की थी, लेकिन भूमाफिया यहां बिना मानचित्र स्वीकृत करवाए अवैध रूप से व्यावसायिक निर्माण करवा रहे हैं.
इस तरह टिहरी विस्थापितों के अधिकारों का हनन हो रहा है. जिन टिहरी विस्थापितों ने भवन बना लिए हैं उनको मूलभूत सुविधाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, सड़क, पानी की सुविधा तक सरकार नहीं दे रही है.
उधर, अवैध निर्माण करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जनहित याचिका में इन अवैध निर्माणों को हटाने के साथ विस्थापितों को आवंटित क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया गया है.