हरिद्वार आ रही यात्रियों से भरी बस नदी में फंसी

Update: 2023-07-25 09:16 GMT

हरिद्वार न्यूज़: रुपेड़िया से हरिद्वार आ रही यात्रियों से खचाखच भरी यूपी रोडवेज की बस सुबह कोटावली नदी की बीच धारा में फंस गई. यात्रियों में चीख-पुकार मच गई. मौके पर पोकलैंड, जेसीबी और हाइड्रा मशीन की मदद से नदी में फंसी बस को बाहर निकाला गया. गनीमत रही इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई.

कोटावली पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण भारी वाहनों के लिए नदी के बीच में रपटा बनाया गया है. नजीबाबाद-हरिद्वार के बीच गुजरने वाले भारी वाहन रपटे से गुजरते हैं. बारिश के चलते कोटावाली नदी उफान पर है. बावजूद इसके हाईवे पर यातायात चालू है. सुबह करीब नौ बजे रुपेड़िया डिपो के चालक ने यात्रियों से खचाखच भरी रोडवेज बस को कोटावाली नदी में उतार दिया. तेज बहाव में चालक बस से नियंत्रण खो बैठा. बह कर बस एक स्थान पर फंस गई. यात्रियों में चीख-पुकार मच गई.

मौके पर मौजूद एनएचएआई के कर्मचारियों ने हाइड्रा मशीन की सहायता से बस को लोहे रस्से से बांध कर एक स्थान पर रोका दिया. साथ ही पुलिस ने पोकलैंड और जेसीबी की मदद से यात्रियों को रेस्क्यू कर बस से बाहर निकाला.

50 से ज्यादा यात्री थे सवार एसओ श्यामपुर विनोद थपलियाल ने बताया कि रुपेड़िया डिपो की बस में नेपाल मूल के लगभग 50 से ज्यादा यात्री सवार थे. उत्तराखंड और यूपी पुलिस ने क्रेन की मदद से यात्रियों को बाहर निकाला.

अतिरिक्त चक्कर काटने से बचते हैं बस चालक

रपटे के साथ ही नहर पटरी से भी भारी वाहन आवागमन करते हैं. नहर पटरी के लिए वाहनों को अतिरिक्त 15 किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता है. अतिरिक्त चक्कर काटने से बचने के लिए बस चालक कई बार सवारियों की जान जोखिम में डाल देते हैं.

2017 से क्षतिग्रस्त है पुल

उत्तराखंड और यूपी की सीमा को जोड़ने वाली कोटावली नदी पर बना पुल चार अगस्त 2017 को पिलर दरकने से क्षतिग्रस्त हो गया था. छह वर्ष बीतने के बाद भी न तो पुल की मरम्मत हो सकी है और न ही नया पुल तैयार किया गया है. हर साल बारिश के दौरान क्षेत्र में यातायात घंटों ठप रहता है. साथ ही यात्रियों को जान जोखिम में डाल कर यात्रा करनी पड़ती है.

बारिश के दौरान आवागमन जोखिमभरा

उत्तराखंड-यूपी की सीमा पर बहने वाली कोटावाली नदी में बारिश के दिनों में आवागमन जोखिम भरा रहता है. नदी का जलस्तर बढ़ने पर पुलिस और एनएचएआई यातायात को नियंत्रित करता है. जलस्तर बढ़ने के बाद भी भारी वाहन नदी से गुजरते रहते हैं.

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