हरिद्वार: हरिद्वार में पॉड टैक्सी परियोजना की कार्यदायी संस्था उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने शासन-प्रशासन को अंधेरे में रखकर कार्ययोजना बनाई। इसकी बानगी देखें तो बिना इतिहास जाने धर्मनगरी में प्रोजेक्ट को लेकर कागजों पर काम शुरू कर दिया गया। धीरे-धीरे गतिरोध शुरू हुआ और अब मामला बजट पर अटक गया। पॉड टैक्सी परियोजना के लिए स्वीकृत राशि कम है। इसके बावजूद इसे जमीन पर उतारने की बात लगातार हो रही है. देखा जाए तो मामला पॉड टैक्सी के लिए जरूरी स्टेशन और यार्ड की जमीन अधिग्रहण पर ही अटका हुआ है. मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने जिला प्रशासन से तहसील परिसर और ऋषिकुल मैदान की जमीन का अधिग्रहण करने का अनुरोध किया था। जिलाधिकारी ने एसडीएम पूरण सिंह राणा की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जमीन का मूल्यांकन कराया तो बजट सौ करोड़ के पार चला गया। अगर इन जमीनों का मुआवजा वर्तमान सर्किल रेट के हिसाब से दिया गया तो प्रोजेक्ट के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत धनराशि कम पड़ जाएगी। अभी निजी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबित है.
20 किमी से अधिक दूरी में बनने वाली पॉड टैक्सी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर कोई रायशुमारी नहीं हुई. इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में खुले मंच से अपर वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने और व्यापारियों से सुझाव लेने के निर्देश दिये थे. इसमें पहले चरण में ही स्टेशन व यार्ड के लिए जमीन अधिग्रहण व मुआवजा राशि का मामला फंस गया. प्रशासन ने जमीन के मौजूदा सर्किल रेट के आधार पर मुआवजे का आकलन किया है, जबकि भूमि अधिग्रहण कानून में अलग प्रावधान है।