कृषि लोन के नाम पर बैंक को लगाया 75 लाख रुपये का चूना

Update: 2023-02-12 08:47 GMT
रुद्रपुर। निजी बैंक के लीगल प्रबंधक ने पुलिस को शिकायती पत्र देकर 17 लाख रुपये का कृषि बैंक लोन लेकर ऋण किस्त नहीं देने और ठगी कर दस्तावेज बदलने का आरोप लगाया है। प्रबंधक का कहना है कि जिसके चलते आरोपियों पर करोड़ों की धनराशि का बकाया हो गया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार, काशीपुर बाईपास रोड निवासी भानू प्रताप सिंह ने कोर्ट को सौंपे शिकायती पत्र में कहा था कि वह कोटक महिंद्रा बैंक शाखा में 26 अगस्त 2021 से लीगल मैनेजर पद पर कार्यरत हैं। कोटक महिंद्रा बैंक में आईएनजी वैश्य बैंक का विलय रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नोटिफिकेशन में एक अप्रैल 2015 में हो गया था। जिसमें आईएनजी वैश्य बैंक के सभी दायित्व तथा संपत्तियां कोटक महिंद्रा बैंक को हस्तांतरित हो गई थीं।
बताया कि आईएनजी वैश्य बैंक की रुद्रपुर शाखा से ग्राम बखपुर किच्छा निवासी बलविंदर सिंह, वार्ड नंबर आठ किच्छा निवासी रणजीत कौर और गुरविंदर सिंह उर्फ कुक्की निवासी बखपुर किच्छा व हाल गदरपुर निवासी रविंदर कौर, बखपुर किच्छा निवासी सुखविंदर कौर व हरदीप सिंह ने 75 लाख का कृषि लोन स्वीकृत कराया था। जिसमें बखपुर निवासी जागीर सिंह व बलविंदर सिंह जमानती थे। सभी ने अपनी कृषि भूमि बैंक में बंधक रखी थी, लेकिन उन्होंने कृषि ऋण हड़पने के लिए बैंक से लिया गया ऋण व ब्याज नहीं चुकाया।
जब कृषि भूमि के राजस्व अभिलेखों का ऑनलाइन सत्यापन किया गया तो पता चला कि बंधक कृषि भूमि राजस्व अभिलेखों में बैंक का चार्ज दर्ज नही था, छह सितंबर 2022 को संपर्क करने पर तहसील किच्छा के कर्मचारियों ने बताया कि रणजीत कौर, रविंदर कौर, जागीर सिंह ने 27 मार्च 2015 को दो डिस्चार्ज सर्टिफिकेट तहसील किच्छा में पेश कर बैंक का ऋण हटवा दिया है, जबकि बैंक रिकॉर्ड में जांच करनें तथा बैंक कार्मिकों से पूछने पर पता चला कि ऋण से संबंधित किसी तरह का कोई डिस्चार्ज या नो ड्यूज सर्टिफिकेट बैंक ने रणजीत कौर, रविंदर कौर और जागीर सिंह को जारी नहीं किया है।
शिकायतकर्ता का कहना था कि बलविंदर सिंह, रणजीत कौर, रविंदर कौर, हरदीप सिंह, सुखविंदर कौर व बलविंदर पर 17 अक्टूबर 2022 तक 1.29 करोड़ से अधिक का बकाया हो गया।
आरोप था कि लोन धारकों ने लोन हड़पने के लिए फर्जी तरीके से नो-ड्यूज सर्टिफिकेट बनाकर उसे असली नो-ड्यूज सर्टिफिकेट की तरह प्रयोग कर तहसील कार्यालय किच्छा में दाखिल कर दिया। इसमें तहसील कार्मिकों की मिलीभगत का अंदेशा जताया गया, जबकि कृषि ऋण अभी तक नहीं चुकाया गया है। पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर छह लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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