वन रक्षक पदों के लिए आयोग ने वर्ष 2018 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। हाईकोर्ट ने समझौते के आधार पर आयोग को मेरिट में आए आरोपी अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार करने के आदेश दिए थे, जिस पर आयोग ने सरकार से विधिक परामर्श मांगा है
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के 1218 पदों की भर्ती भी चर्चाओं में रही। करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थियों ने इन पदों के लिए आवेदन किया था। लिखित परीक्षा के दौरान नकल कराने के आरोप के चलते 11 अभ्यर्थियों को अभी तक नियुक्ति नहीं मिली है।
हाईकोर्ट ने समझौते के आधार पर आयोग को मेरिट में आए आरोपी अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार करने के आदेश दिए थे, जिस पर आयोग ने सरकार से विधिक परामर्श मांगा है। वर्ष 2018 में वन विभाग में वन रक्षक पदों के लिए आयोग ने भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। उस समय अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने और शैक्षिक योग्यता को लेकर प्रक्रिया को सरकार ने स्थगित कर दिया था।
बाद में आयु सीमा को 24 वर्ष से 28 वर्ष तय कर आयोग ने ऑनलाइन आवेदन मांगे। इसमें डेढ़ लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। वर्ष 2019 में आयोग ने लिखित परीक्षा कराई, लेकिन पौड़ी और मंगलौर के कुछ परीक्षा केंद्रों में ब्लूटूथ से नकल करने पुलिस ने 54 अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसमें 11 अभ्यर्थी मेरिट लिस्ट में शामिल थे।
वादी और आरोपियों के बीच समझौते के आधार पर हाईकोर्ट ने आयोग को अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने पर विचार करने के आदेश दिए थे। आयोग ने सरकार से भी 11 अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के लिए विधिक परामर्श मांगा। सरकार की तरफ से अनुमति नहीं मिलने के कारण नियुक्ति रुकी है। अब फॉरेस्ट गार्ड भर्ती की एसटीएफ जांच के आदेश दिए गए हैं, जिसमें बंद किए गए नकल के मुकदमों का भी परीक्षण किया जाएगा।