रिस्पना नदी किनारे अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू, मामले पर नहीं थम रही सियासत
उत्तराखंड : रिस्पना नदी के किनारे 2016 के बाद से किए गए अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू हो गई है। इस दौरान नगर निगम की टीम ने भारी पुलिस बल के साथ देहरादून स्थित चूना भट्टा से अवैध निर्माण हटाने की शुरुआत की। बता दें कि एनजीटी के आदेश के बाद 2016 के बाद रिस्पना नदी के किनारे अवैध बस्तियों के निर्माण को ध्वस्त करने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है।
रिस्पना किनारे से अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू
सरकारी संपत्तियों पर अवैध अतिक्रमण को लेकर सरकार फिर एक बार एक्टिव मोड में नजर आ रही है। प्रदेश सरकार द्वारा लंबे समय से अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है इसके साथ ही अब नदियों के किनारे हुए अतिक्रमण को लेकर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है।
राज्य सभा सांसद नरेश बंसल ने कहा देहरादून में रिस्पना, बिंदाल और अन्य नदियों नालों में जिसतरह से अवैध अतिक्रमण करते हुए अवैध बस्तियां बन गई है उससे न सिर्फ शहर बदसूरत हुआ है बल्कि पानी के निकासी के रास्ते भी अवरुद्ध हो गए है। उन्होंने कहा अवैध अतिक्रमण पर न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया है और कानून के शासन में न्यायालय के निर्णय को मानना बाध्यता होती है और किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का एतराज है तो उसे उच्चतम न्यायालय में जाना चाहिए।
सियासत नहीं ले रही है थमने का नाम
अतिक्रमण के इस मामले पर सियासत भी थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर हो रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि ये गरीबों पर अत्याचार है। साल 2016 के बाद कौन सी बस्ती बसी है ये सब लोग पहले से ही यहां रह रहे है सरकार गरीबों को उजाड़ रही है।
सरकार गरीबों के घर उजाड़ रही है
करन माहरा का कहना है कि लोग पाई-पाई जोड़कर घर बनाते है और ये सरकार बुल्डोजर चलाकर उन्हें उजाड़ रही है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को पहले लोगो के लिए दूसरा वेकल्प देखना चाहिए तब जाके किसी का घर तोड़ना चाहिए। भाजपा के विधायक खुद मालिन बस्तियों को तोड़ने का विरोध करते आ रहे है लेकिन उनकी खुद की सरकार इसपर कोई ध्यान नही दे रही है और लगातार बस्तियों को उजड़ने का काम कर रही है।